ऐसी है पूजा के संघर्ष की कहानी पूजा जाट ने हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान 2014 और 2015 में स्कूल गेम्स में दो साल तक 100 मीटर दौड़ में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद पूजा प्रतिदिन बछखाल से खातेगांव आकर यहां के मैदान पर प्रैक्टिस करती थी। एड़ी में दर्द की वजह से कड़ी मेहनत के बाद भी वह अपनी दौड़ का टाइमिंग कम नहीं कर पा रही थी। डॉक्टर्स की सलाह के बाद उसने निराश होकर दौडऩा बंद कर दिया। पूजा के कोच योगेश जाणी उसकी खेल प्रतिभा को अच्छे से जानते थेे। जाणी ने उसे कुश्ती में हाथ आजमाने का कहा और उसे कुश्ती की ट्रेनिंग देना शुरू की। महज चार माह की ट्रेनिंग में ही पूजा ने स्टेट लेवल पर मेडल जीत लिया और अब लगातार आगे बढ़ रही हैं।
मुझे मेरी बेटी पर पूरा भरोसा है पूजा जब कुश्ती के लिए बाहर निकली तो रिश्तेदारों ने कहा कि लडक़ी है इसे बाहर मत भेजो। लडक़ी कुश्ती करेगी तो शादी नहीं होगी। उस समय पूजा के पिता कहते कि मुझे बेटी पर पूरा भरोसा है। पूजा के खेल अकादमी में सिलेक्शन के बाद पिता और दोनों भाई ही घर का काम करते हैं। पूजा कहती है विपरीत परिस्थितियों में भी घर वालों ने सपोर्ट किया। सरपंच गीता गोरा और सरपंच प्रतिनिधि लक्ष्मीनारायण गोरा ने अपने खर्चे से पूजा को इंदौर, उज्जैन, हरियाणा और दिल्ली में ट्रेनिंग दिलवाई।