मंदिर को कलात्मक रूप से सजा कर रेम्प बनाया गया जिस पर झूमते-नाचते हुए प्रभु के परिजनों का आगमन हुआ। जैसे ही प्रभु के जन्म की घोषणा हुई उपस्थित जनसमुदाय ने प्रभु के जयकार का दिव्य शंखनाद करते हुए जमकर नृत्य किया। प्रभु भक्ति के गीतों की प्रस्तुति संगीतकार मेहुल भाई रूपड़ा जालना महाराष्ट्र द्वारा दी गई। संपूर्ण कार्यक्रम का लाभ मांगीलाल छगनीराम जैन मैनाश्री परिवार ने प्राप्त किया। प्रवक्ता विजय जैन ने बताया कि यह अनुष्ठान प्रात 9 बजे से प्रारंभ होकर दोपहर 2 बजे तक चलता रहा। इसके बाद स्वामी वात्सल्य का आयोजन हुआ।
स्ना त्र महोत्सव का महत्व बताते हुए महत्वपूर्ण श्लोकों का उच्चारण साध्वी द्वारा किया गया। आपने कहा कि प्रभु का जन्म तो प्रत्येक जीव यहां तक की नरक के जीवों को भी आनंदित बना देता है। प्रभु का जन्म उत्सव मनाने के लिए तो स्वर्ग लोक से स्वयं इंद्र महाराजा अपने पूरे परिवार के साथ धरती पर उतरते हैं। हमने मंदिर में प्रभु का जन्म तो मनाया लेकिन हमारे मन मंदिर में भी प्रभु का जन्म हो जाए तो हमारा प्रभु प्रदत्त यह जीवन सफल हो सकता है। कार्यक्रम में विलास चौधरी, अशोक जैन मामा, शैलेंद्र चौधरी, दीपक जैन, अतुल जैन, राकेश तरवेचा, गौरव जैन भोमियाजी, अजय मूणत, मुकेश चौधरी, भरत चौधरी, संजय तरवेचा, धर्मेंद्र संघवी, मनीष जैन, अरङ्क्षवद जैन मामा, जयमीत जैन आदि ने सहयोग प्रदान किया।