पालक बालिकाओं को आगे नहीं पढ़ाते, उनकी इसी सोच को बदले शिक्षक घर-घर कर रहे संपर्क
42 छात्राओं में 27 छात्राओं ने प्रथम श्रेणी में परीक्षा पास की थी
बागली. ग्रामीण क्षेत्रों में 8वीं के बाद बालिकाओं की शिक्षा पर रोक लग जाती है। पालकों की इसी सोच के चलते प्रतिभाशाली बालिकाओं को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोडऩा पड़ती है। पालकों की इस सोच को बदलने के लिए इन दिनों सरकारी स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाएं घर-घर जाकर पालकों से चर्चा कर रही है। शिक्षकों का दल पालकों को समझा रहा है कि वे बालिकाओं की शिक्षा पर बीच में ही बेक्र लगाकर उनके साथ अन्याय नहीं करें। इस पहल का सकारत्मक असर भी नजर आ रहा है व कई पालकों ने आगे की पढ़ाई के लिए हामी भरी है।
बागली कन्या हाई स्कूल के शिक्षक इन दिनों घर-घर जाकर संपर्क कर रहे हैं और निश्चित कर रहे हैं कि जिन छात्र-छात्राओं ने कक्षा आठवीं उत्तीर्ण की है विशेषकर लड़कियों ने उनके माता.पिता किसी कारणवश लड़कियों का स्कूल बंद न करें। इसके लिए घर-घर संपर्क किया जा रहा है। संकुल प्रभारी वासुदेव जोशी ने बताया कि हमारा उद्देश्य है कि किसी भी घर में बालिकाएं आठवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद शाला न छोड़े, वे अपना अध्यापन कार्य करती रहे और हमारा प्रयास रहता है कि वह शासकीय स्कूल में शासन की सुविधाओं के साथ नि:शुल्क रूप से अध्यापन कार्य करने के लिए बागली कन्या हाई स्कूल में प्रवेश ले। इसी श्रंृखला में चिलचिलाती धूप में गुरुवार-शुक्रवार को बागली कन्या हाई स्कूल से संबंधित संस्था प्राचार्य पंडित वासुदेव जोशी, महेश गिरी गोस्वामी, शिक्षिका निशा योगी, लता वर्मा, सरोज जोहरी आदि शिक्षक-शिक्षिकाएं बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उनके प्रवेश हेतु संपर्क कर रहे हैं। गौरतलब है कि विगत वर्ष बागली कन्या हाई स्कूल में 42 अध्ययनरत छात्राओं में 27 छात्राओं ने प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर स्कूल का नाम रोशन किया था। संस्था प्राचार्य वासुदेव जोशी का कहना है कि शासन बालिकाओं को पढ़ाने में कई योजनाएं ला रहा है, ऐसे में हमारा भी प्रयास है कि कोई भी बालिका पढ़ाई से वंचित न रहे। इसलिए घर घर जाकर आठवीं कक्षा में उत्तीर्ण छात्राओं पर विशेष जोर दिया जा रहा है, ताकि वह शासकीय स्कूल में निशुल्क रूप से उच्च शिक्षित शिक्षकों के सानिध्य में अध्यापन कार्य कर सकें।