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शॉट सर्किट या आग लगने के बाद खतरनाक हो सकते हैं हालात, नहीं है पर्याप्त इंतजाम

आग से बचाव के लिए केवल फायर एक्सङ्क्षटग्यूशर, बिङ्क्षल्डग में एसीपी शीट लगाई

देवासAug 03, 2022 / 05:21 pm

Chandraprakash Sharma

शॉट सर्किट या आग लगने के बाद खतरनाक हो सकते हैं हालात, नहीं है पर्याप्त इंतजाम

शॉट सर्किट या आग लगने के बाद खतरनाक हो सकते हैं हालात, नहीं है पर्याप्त इंतजाम

देवास। जबलपुर में सोमवार को निजी अस्पताल में आगजनी की घटना के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। अस्पताल के बाहर सुंदरता बढ़ाने के लिए एसीपी शीट््स लगाई गई थी इसी के कारण आग विकराल हो गई और बाहरी हिस्सा आग की चपेट में आ गया। कुछ ऐसे ही हालात जिला अस्पताल में भी कभी भी बन सकते हैं। यहां कायाकल्प के दौरान कई काम हुए जिसमें बाहरी हिस्से में एसीपी वर्क किया गया। वहीं मुख्य द्वार व गलियारे में पीवीसी शीट््स लगाकर इनमें लाइट््स लगाई गई है। देखने में अस्पताल दूर से सुंदर नजर आता है लेकिन शॉट-सर्किट या आगजनी की घटना के दौरान जिला अस्पताल के भी हालात भयावह हो सकते हैं। मंगलवार को पत्रिका टीम ने अस्पताल का स्केन किया तो यहां आग बूझाने के संसाधन नाकाफी थी। अस्पताल के वार्डों के बाहर आग से निपटने के लिए केवल फायर एक्सङ्क्षटग्यूशर ही उपलब्ध है।
आइसीयू में भी खतरा: जिला अस्पताल में कायाकल्प अभियान में काफी काम हुआ है। अस्पताल के बाहरी हिस्से में सुंदरता के लिए एसीपी शीट का काम हुआ है तो अंदर की छतों पर पीवीसी शीट््स से छत तैयार कर लाइङ्क्षटग की गई है। इसी तरह नए बने आईसीयू के बाहरी हिस्से में भी शीट््स लगाई गई है। साथ ही इंट्रेंस पर जो भी लकड़ी व प्लायवुड का काम हुआ है। ऐसे में यहां भी ऐसी चीजों का ज्यादा उपयोग हुआ है जो ज्वलनशील है।
हाइड्रेंट या स्प्रिंकलर सिस्टम की जरूरत
जिला अस्पताल में वर्तमान में आग से बचाव के लिए केवल फायर एक्सङ्क्षटग्यूशर ही मौजूद है। अस्पताल भवन के अनुसार यहां हाइड्रेंट या स्प्रिंकलर सिस्टम की जरूरत है। इन सिस्टम का उपयोग ज्यादातर बड़े भवनों में होता है।
अस्पताल के सभी वार्डों के बाहर फायर एक्सङ्क्षटग्यूशर लगे हैं। हम सीएसआर फंड से स्प्रिंकलर सिस्टम लगाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। शॉट सर्किट न हो इसलिए हमने सभी लाइनें अलग कर दी है। तीन ट्रांसफार्मर की व्यवस्था की है ताकि लोड न हो। जल्द ही स्टेबिलाइजर का भी इंतजाम कर रहे हैं ताकि लोड ओर कम हो जाए।
-डॉ. अजय पटेल, आरएमओ

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