उल्लेखनीय है कि जिले में 1883 शासकीय स्कूल हैं। इसके अलावा शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में प्राइवेट स्कूल भी संचालित हो रहे हैं। शासन ने नया शिक्षण सत्र शुरू होने से पहले आरटीई के तहत निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं करने वाले प्राइवेट स्कूलों की मान्यता रद्द करने का आदेश दिया था, जिसका यहां सही तरीके से पालन नहीं हुआ। शिक्षा विभाग द्वारा बनाई गई टीम ने स्कूलों का निरीक्षण के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर दिया। सूत्रों की माने तो बुनियादी सुविधाएं नहीं होने के बाद भी संचालकों से सांठगाठ कर गलत रिपोर्ट तैयार कर सौंप दिया। जो स्कूलें किराए के भवन में संचालित हैं, उन्हें स्वयं के भवन पर संचालित होना बताया गया है। इसलिए जिन स्कूलों की मान्यता समाप्त हो जानी चाहिए थी, वहां अभी भी पढ़ाई हो रही है।
ये आए थे दायरे में
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार निरीक्षण के दौरान दीप ज्योति विद्या मंदिर दोनर, शारदा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्कूल डोमा, संजीवनी स्कूल पोटियाडीह, शांति सरोवर विद्यालय अर्जुनी, सरस्वती ज्ञान विद्यालय नगरी, इंडियन गल्र्स उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धमतरी, सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल भानपुरी, सरस्वती शिशु मंदिर खपरी, श्रीकृष्ण शिशु मंदिर देमार और माही पब्लिक स्कूल बांसपारा को जांच के दायरे में लिया गया था। इनमें से डोमा और नगरी के स्कूल की मान्यता समाप्त की गई।
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार निरीक्षण के दौरान दीप ज्योति विद्या मंदिर दोनर, शारदा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्कूल डोमा, संजीवनी स्कूल पोटियाडीह, शांति सरोवर विद्यालय अर्जुनी, सरस्वती ज्ञान विद्यालय नगरी, इंडियन गल्र्स उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धमतरी, सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल भानपुरी, सरस्वती शिशु मंदिर खपरी, श्रीकृष्ण शिशु मंदिर देमार और माही पब्लिक स्कूल बांसपारा को जांच के दायरे में लिया गया था। इनमें से डोमा और नगरी के स्कूल की मान्यता समाप्त की गई।
उठा रहे हैं फायदा
शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कमजोरी का प्राइवेट स्कूल संचालक खूब फायदा उठा रहे हैं। हर साल वे आरटीई के सभी मापदंडों को जल्द पूरा करने का भरोसा दिलाते हैं। उनके इस झांसे में आकर अधिकारी भी कार्रवाई नहीं करने में दिलचस्पी नहीं दिखाते। इस साल तो परीक्षा नजदीक होने का हवाला देकर अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं किया।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कमजोरी का प्राइवेट स्कूल संचालक खूब फायदा उठा रहे हैं। हर साल वे आरटीई के सभी मापदंडों को जल्द पूरा करने का भरोसा दिलाते हैं। उनके इस झांसे में आकर अधिकारी भी कार्रवाई नहीं करने में दिलचस्पी नहीं दिखाते। इस साल तो परीक्षा नजदीक होने का हवाला देकर अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं किया।
इस साल दो स्कूलों की मान्यता रद्द की गई है। नए शिक्षण सत्र में आरटीई का पालन नहीं करने वालों को स्कूल शुरू करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
पीकेएस बघेल, डीईओ
पीकेएस बघेल, डीईओ