संविलियन हुए शिक्षकों ने नहीं बदली अपनी आदत
उल्लेखनीय है कि शिक्षाकर्मियों की मांग को शासन ने पूरा कर दिया है। आठ साल पूर्ण कर चुके शिक्षकों का सङ्क्षवलियन भी हो गया है। इस तरह अब तक जिले में करीब 5 हजार शिक्षकों का संविलियन हो चुका है। संविलियन होने के बाद अधिकारी उम्मीद कर रहे थे कि शिक्षकों की आर्थिक समस्या दूर होने के बाद वे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर विशेष ध्यान देंगे। इससे परीक्षा परिणाम में सुधार आएगा, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
जिले में 880 प्राथमिक, 445 माध्यमिक, 56 हाई और 111 हायर सेकेंडरी स्कूल हैं। स्कूलों में शिक्षक अपनी मर्जी के मालिक बन गए हैं। उनका स्कूल आने का कोई निश्चित समय नहीं रहता है। शिक्षकों की लापरवाही के चलते माध्यमिक शाला में पढऩे वाले अधिकांश छात्रों को तो ठीक से पढऩा-लिखना भी नही आता है। ऐसे में अब उन पर संकुल समन्वयक के माध्यम से अंकुश लगाने की तैयारी चल रही है।
वर्तमान में इतना है केन्द्र
राजीव गांधी शिक्षा मिशन से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 1492 शासकीय स्कूल है। इनकी मानिटरिंग के लिए वर्तमान में 81 संकुल केन्द्र हैं। एक संकुल के अंडर 7 से 10 स्कूल होना चाहिए। यहां ऐसे कई संकुल केन्द्र हैं, जहां के समन्वयकों को 30 से 40 स्कूल की जिम्मेदारी दी गई है। स्कूलों की संख्या अधिक होने के कारण वे अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा पा रहे हैं। ऐसे में 87 और नए संकुल केन्द्र बनाए जाएंगे।
यह है जवाबदारी
संकुल समन्वयक नियमित शिक्षक को बनाया जाता है। उन्हें रोजाना 3 से 4 स्कूलों का निरीक्षण करने, प्रार्थना में शामिल होने, एक स्कूल में क्लास लेने, छात्र-छात्राओं का लेबल जांचने, स्कूल की आवश्यकतों की पड़ताल करने की जिम्मेदारी दी गई है। संकुल समन्वयक को प्रतिदिन रिपोर्ट बनाकर बीआरसी को प्रेषित करना पड़ता है।