उल्लेखनीय है कि जिले मेंं 1492 शासकीय स्कूल हैं, जहां छात्र-छात्राओं का भविष्य गढऩे की जिम्मेदारी 5 हजार 886 शिक्षकों पर हैं। शिक्षक पंचायत, सहायक शिक्षक पंचायत की मानिटरिंग जिला पंचायत और जनपद पंचायत से होती है। शासन के आदेश पर अब 8 साल तक स्कूलों में सेवा दे चुके शिक्षकों का संवलियिन किया जा रहा है। पिछले साल जिले में 4 हजार 151 और इस साल 217 शिक्षकों का संविलियन किया गया है।
अब ये शिक्षक शिक्षा विभाग के अंडर में आ गए हैं। वेतन, वरिष्ठता, पदोन्नति समेत अन्य कार्य डीईओ दफ्तर से होगा। सूत्रों की माने तो शिक्षकों के संविलियन होने के बाद फाइल मेंटेन करने के लिए एक भी कर्मचारी की नियुक्त नहीं की गई है, जिसका असर अब देखने को मिल रहा है। फाइलें आगे नहीं बढ़ पा रही है।
शिक्षकों पर बढ़ा वर्कलोड
सहायक शिक्षक, शिक्षक पंचायत आदि का संविलियन होने के बाद वर्क लोड काफी बढ़ गया है। फाइलें अपडेट करने में परेशानी हो रही है। शिक्षकों की वरिष्ठता, सेवानिवृत्ति, पदोन्नति आदि की सूची अपडेट नहीं हुई है। इसके अलावा शासन द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए चलाई जा रही योजनाओं से संबंधित जानकारी भी व्यवस्थित नहीं हुई है।
नहीं करना चाहते काम
काम का बोझ बढऩे से कर्मचारियों की भी परेशानी बढ़ गई है। अधिकारियों द्वारा उनसे एस्ट्रा काम लिया जा रहा है। ऐसे में उन्हें छुट्टी के दिन भी काम करना पड़ रहा है। एक कर्मचारी ने तो परेशान होकर स्कूल में अपना स्थानांतरण करवा लिया हैं। अन्य कर्मचारियों भी दूसरे जगह स्थानांतरण करने की मांग करने लगे है।