रोजगार और सुविधाएं जरूरी
बेराजगारी और अभाव की जिंदगी के चलते नक्सलियों के संगठन से जिले के कई युवा आकर्षक पैकेज के प्रलोभन में जुड़ रहे हैं। खुफिया सूत्रों के अनुसार जिले के करीब 50 से अधिक युवक सीतानदी दलम, गोबरा दलम समेत विभिन्न संगठनों से परोक्ष या अपरोक्ष रूप से जुड़े हुए है। सामाजिक कार्यकर्ता डा. केएस नायक का कहना है कि वनांचल में बुनियादी सुविधाओं के विकास के साथ ही युवाओं को रोजगार से जोड़कर युवाओं को भटकने से बचाया जा सकता है।
गावड़े बना आतंक का पर्याय
जंगल में लंबे समय से माओवादी सत्यम गावड़े(कांकेर), टिकेश्वर ध्रुव(एकावारी), दीपा (मैनपुर), दीपक मंडावी, रूपेश सलाम, जयलाल उमा, प्रमिला (बस्तर), जानसी, टीना, रोनी (महाराष्ट्र), रामदास, शांति आदि नक्सलियों का खौफ है। इनमें सीतानदी दलम के सत्यम गावड़े दुर्दांत नक्सली है। नगरी के जंगल में पिछले कई सालों से वह आतंक का पर्याय बना हुआ है। पुलिस मुख्यालय ने इन्हें जिंदा पकडऩे या मारने पर लाखों रुपए का ईनाम भी रखा गया है। जिले में गोबरा एरिया कमेटी और सीतानदी एरिया कमेटी के साथ ही गरियाबंद से लगे मैनपुर लोकल गुरिल्ला स्क्वाड सक्रिय है। बताया जा रहा है कि इन प्रत्येक दलों में 8 से लेकर 12-15 माओवादी शामिल हैं।
नेटवर्क हुआ कमजोर
सीतानदी और गोबरा दलम के नक्सलियों ने अब तक मुखबिरी की शक में युवक सीतानदी गोंड़ (30) आमझर, वन विभाग के पूर्व चौकीदार गैंदलाल यादव (50) बोड़रा-भोथली, करही सरपंच राधिका कुंजाम के पति नीरेश कुंजाम (26) उजरावन, अमरदीप मरकाम (23) घोरागांव समेत दो अन्य ग्रामीणों की हत्या कर चुके हैं। एक के बाद एक ग्रामीणों को निशाना बनाए जाने के कारण उनमें भारी दहशत है। यही वजह है कि कल तक वनांचल को लाल आतंक से मुक्त करने ग्रामीण पुलिस को सहयोग करते थे, पर अब पुलिस को फिर से अपना नेटवर्क मजबूत करने काफी मशक्कत करना पड़ रहा है। जंगल में नए सिरे से पुलिस को मुखबिरों का जाल बिछाना पड़ रहा है।
मुख्यधारा में लाने का कोई प्रयास नहीं
नगरी के जंगल में इन दिनों करीब 60 से 70 नक्सली अलग-अलग दलों में सक्रिय हैं। इनमें से एकमात्र टिकेश ध्रुव स्थानीय ग्राम एकावारी का रहने वाला हैं। जंगल में सक्रिय अधिकांश नक्सली बस्तर, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश-उड़ीसा के है। पुलिस की ओर से टिकेश को मुख्यधारा में लाने उनके गांव-घर भी गया था, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। इसके बाद से और कोई सार्थक प्रयास होता नहीं दिख रहा। जबकि गांव वाले क्षेत्र में अमन-चैन चाहते हैं। लाल आतंक से वनांचल को मुक्त कराकर विकास की मुख्य धारा में जुडऩा चाहते हैं। इसके लिए लगातार वे पानी, बिजली, सड़क, पुल-पुलिया और स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट तक पहुंच रहे हैं।
साझा आपरेशन अब तक शुरू नहीं
पुलिस सूत्रों के मुताबिक नक्सलियों के खिलाफ धमतरी जिला पुलिस तीन अन्य जिला गरियाबंद, कोंडागांव, कांकेर और उड़ीसा राज्य की पुलिस के साथ मिलकर संयुक्त ऑपरेशन शुरू करने वाली हैं। इसके लिए बीते जनवरी महीने में ही नक्सलियों के खात्मे के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के. विजय कुमार की अध्यक्षता में इंटर डिस्ट्रीक-स्टेट रिव्यू मीटिंग हो चुकी है। इसमें विशेष सर्च आपरेशन चलाने तथा प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, पुल-पुलिया जैसे सुगम पहुंच मार्गों के विकास पर बल दिया गया है, लेकिन यह अभियान अब तक शुरू नहीं हो सका है।