जिले के 194 राइस मिलरों ने राज्य शासन से कस्टम मिलिंग के लिए अनुबंध कराया हैं, लेकिन इसमें से 184 मिलर्स ही मिलिंग का काम कर रहे है। सहकारिता विभाग के मुताबिक अब तक मिलरों को धान खरीदी केन्द्र से 10 लाख 3 हजार 424 क्विंटल धान प्रदाय किया गया है, लेकिन इसके उठाव को लेकर वे गंभीरता नहीं दिखा रहे। यही कारण है कि जिले में कस्टम मिलिंग का काम अपेक्षित रूप से जोर नहीं पकड़ रहा।
उल्लेखनीय है कि पखवाड़ेभर पहले काम में रूचि नहीं लेने वाले ऐसे 9 राइस मिलरों को नोटिस भी जारी किया गया था। इसके बावजूद मिलर्स सोसाइटियों से धान उठाने में रूचि ले रहे है और न ही मिलिंग का चावल जमा कराने। ऊपर से मौसम भी साथ नहीं दे रहा। ऐसी स्थिति में कस्टम मिलिंग का काम लगातार पिछड़ता ही जा रहा है। इसके चलते विकट स्थिति पैदा हो गई है।
37 हजार मीट्रिक टन चावल जमा
एक जानकारी के अनुसार जिले में अब तक राइस मिलरों ने सिर्फ 37 हजार 269 मीट्रिक टन चावल कस्टम मिलिंग के खाते में जमा कराया है। इसमें भारतीय खाद्य निगम के गोदाम में 11,360 मीट्रिक टन चावल जमा कराया है। वहीं केन्द्रीय नागरिक आपूर्ति निगम में 13,293 मीट्रिक टन तथा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम में 1261 मीट्रिक टन चावल जमा कराया है।
बारिश से धान में आई नमीं
सहकारिता विभाग के मुताबिक जिले के 85 धान खरीदी केन्द्रों में आज की स्थिति में 10 लाख 7 हजार 765 क्विंटल धान सोसाइटियों में जाम पड़ा हुआ है। इस बीच अकरस बदली-बारिश से धान में नमी आ रही। इससे कस्टम मिलिंग का काम भी प्रभावित होगा। ऐसी स्थिति में चावल की क्वालिटी पर असर पड़ेगा।
खाद्य विभाग के अधिकारी बीके कोर्राम ने कहा, कस्टम मिलिंग की गति को बढ़ाने के लिए शनिवार को मिलरों की बैठक लेकर निर्देशित किया गया है। काम में कोताही बरतने वाले मिलरों पर कार्रवाई की जाएगी।