धमतरी. धमतरी जिला सिकलसेल की बीमारी को लेकर काफी संवेदनशील है। लगातार इसके मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। हद तो यह है कि सरकारी मंडप में होने वाली शादियों में भी नियम का पालन नहीं किया जा रहा है। वर्ष 2005 से मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना संचालित हैं, तब से लेकर अब तक इस योजना के तहत महिला बाल विकास विभाग 1370 जोड़ों के विवाह का लक्ष्य मिला था। लक्ष्य के विरूद्ध 1093 जोड़ों का विवाह हुआ, लेकिन अधिकारियों ने इनकी सिकलसेल कुंडली के मिलान की जहमत नहीं उठाई।
डॉक्टरों की मानें तो यदि पति-पत्नी दोनों सिकलसेल से पीडि़त हैं, तो बच्चों में निश्चित रूप से यह बीमारी आती है। यदि पति-पति में से एक इस रोग से पीडि़त है तो बच्चों में इस बीमारी के आने की आशंका 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है। मामा-बुआ, मौसी-बड़ी जैसी रिश्तेदारी में विवाह होने पर इस बीमारी की आशंका शत प्रतिशत रहती है। आने वाली पीढ़ी को इस बीमारी से बचाने के लिए शादी से पहले सिकलसेल कुंडली मिलान करना अनिवार्य है।
सीएमएचओ डीके तुर्रे ने बताया कि यह अपनी संतान को स्वस्थ रखने और उसके जीवन-मरण का सवाल है। ऐसे में लोगों को शादी से पहले सिकलसेल कुंडली का अवश्य ही मिलान करना चाहिए।
महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी हरिकीर्तन राठौर ने कहा कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत सिकलसेल कुंडली मिलान करने के लिए कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।