राज्य शासन द्वारा मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरूआत की गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य प्रदेश के किसानों और कमजोर वर्ग के लोगों को धन और सामाजिक संबंधित सहायता प्रदान प्रदान करना है। इस योजना के अंतर्गत जिले में 1 लाख 76 हजार 232 लोगों को स्मार्टकार्ड प्रदान किया गया है। पूर्व में बीमाधारी व्यक्ति का 30 हजार रूपए तक नि:शुल्क इलाज कराने का प्रावधान किया गया था, जिसे वर्तमान में बढ़ाकर 50 हजार कर दिया गया है।
बताया गया है कि जब से स्मार्टकार्ड की राशि में बढ़ोत्तरी हुई है, इलाज का खर्चा भी दोगुना हो गया है। अब तो स्थिति यह है कि निजी अस्पताल में मरीजों से इलाज के नाम पर मनमाना शुल्क वसूला जा रहा है। शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मरीज आरती सिन्हा ने बताया कि कुछ दिनों पूर्व शहर के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अपनी नसबंदी कराई थी है। इलाज के पूर्व संबंधित अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें स्मार्टकार्ड जमा कराने के लिए कहा। इसके बाद उसके स्मार्टकार्ड से अधिक राशि काट ली गई।
नियमोंं में फेरबदल
बताया गया है कि स्मार्टकार्ड के नियमोंं में भी शासन ने फेरबदल कर दिया है। इसके तहत अब हाइड्रोसील व पाइल्स जैसी आम बीमारी को स्मार्ट कार्ड पैकेज से हटा दिया है। अब इलाज केवल सरकारी अस्पताल में हो रहा है। बताया गया है कि सरकारी अस्पतालों में इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं होने से मरीजों को नगद पेमेंट कर इलाज करना पड़ रहा है।
जारी हुआ नया सकुर्लर
स्वास्थ्य विभाग की सूत्रों की मानें तो पूर्व में इलाज का पैकेज सरकारी और निजी अस्पतालों के लिए अलग-अलग था। शिकायत के बाद अब नया सर्कुलर जारी किया गया है। इसके तहत अब अलग-अलग बीमारियोंं के इलाज के पैकेज को दोगुना कर दिया गया है। ऐसे में एक सामान्य बीमारी के इलाज के लिए मरीजों को सरकारी एवं निजी अस्पतालों में भी दोगुनी राशि देनी पड़ रही है।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ डीके तुर्रे ने कहा कि स्मार्ट कार्ड से अलग-अलग बीमारी के इलाज के लिए पैकेज निर्धारित है। शासन के आदेशानुसार ही राशि ली जा रही है। इस मामले में अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है।