एक जानकारी के अनुसार शहर में भारतीय स्टेट बैंक, सेंट्रल बैंक, एचडीएफसी, देना बैंक समेत करीब 15 से अधिक बैंक संचालित हो रही है। इन बैंकों में उपभोक्ताओं की संख्या करीब साढ़े 4 लाख से अधिक हैं। इनके द्वारा ही बैंकों में लेन-देन किया जाता है। देखा गया है कि नोटबंदी के बाद से बैंकों मेंं कटे-फटे नोट रिप्लेस के लिए ज्यादा आ रहे हैं। ऐसे मेंं बैंक प्रबंधकों की परेशानी बढ़ गई है।
बैंक के एक अधिकारी का कहना है कि भारतीय मुद्रा का उचित रख-रखाव और इसकी देख-रेख की जिम्मेदारी बैंक के अलावा आम नागरिकों की भी है, लेकिन अधिकांश लोग इसका पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आरबीआई के नियमानुसार बैंक से 50, 100, 200, 500 और 2 हजार रूपए की नई करेंसी में किसी तरह की कोई लिखावट नहीं करना है। इसके बाद भी आम नागरिक नोट में पेन या शीश से कुछ न कुछ लिख रहे हैं। देख-रेख के अभाव में नोट जल्द ही फट जाता हैं।