उल्लेखनीय है कि जिले में हर साल हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं 12वीं कक्षा में उत्तीर्ण होकर निकलते हैं। जिले में गिनती के ही शासकीय कालेज होने के कारण इनमें से अधिकांश को एडमिशन नहीं मिल पाता। ऐसे में उन्हें कालेज की पढ़ाई करने का सपना पूरा करने के लिए प्राइवेट कालेजों की ओर रूख करना पड़ता है। इसी का गलत फायदा कुछ प्राइवेट कालेज प्रबंधन द्वारा उठाया जा रहा है। छात्र-छात्राओं को विभिन्न विषयों में डिप्लोमा की डिग्री प्रदान कर नौकरी दिलाने का आश्वासन देकर उनके साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। देखा गया है कि जब वे डिग्री लेकर शासकीय नौकरी के लिए एप्लाई करते हैं, तब उनके सामने सच्चाई सामने आती है।
सूत्रों की माने तो शहर में करीब आधा दर्जन प्राइवेट कॉलेजों के अवैध रूप से अध्ययन केन्द्र संचालित हो रहे है, जहां हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं पंजीकृत है। इन केन्द्रों में कम्प्यूटर, लाइब्रेरियन, पर्यावरण अध्ययन, पर्यटन, पीजी कोर्स समेत अन्य संकाय में छात्रों से हजारों रुपए का शुल्क लिया जाता है। औपचारिकता निभाने के लिए उन्हें सिर्फ परीक्षा में शामिल होने कहा गया है। और तो और अध्ययन करने के लिए सिर्फ पुस्तक उपलब्ध करा दी जाती है। केन्द्रों में विशेष विशेषज्ञ भी नहीं है।
इन्हें है मान्यता
पीजी कालेज से मिली जानकारी के अनुसार पंडित सुंदरलाल शर्मा और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के अध्ययन केन्द्र को ही मान्यता मिली है। ये केन्द्र पीजी कालेज में संचालित है। इसके अलावा प्राइवेट कालजों के जितने भी अध्ययन केन्द्र संचालित है, उसे मान्यता नहीं है। गैर कानूनी तौर पर इसे चलाया जा रहा है, जिन पर प्रशासन को कार्रवाई करना चाहिए।
नहीं मिली शासकीय नौकरी
प्राइवेट कालेज के अध्ययन केन्द्र से पढ़ाई करने वाले मनोज साहू, गणेश कुमार देवांगन, जागृत साहू ने बताया कि उन्होंने कम्प्यूटर में डिप्लोमा किया है। जब सहायक ग्रेड तीन के लिए एप्लाई किया तो, उसके आवेदन को रिजेक्ट कर दिया गया। अब उन्हें प्राइवेट कालेज से पढ़ाई कर पछताना पड़ रहा है।