NAVRATRI : पुत्र से गोद भर देती है ये देवी, भक्तों ने महसूस किया है चमत्कार, देखें VIDEO
निक्की राठौड़ @ कालीबावड़ी. शारदीय नवरात्रि मे चारों ओर माता दूर्गा के नौ रूपों की स्तूति की जा रही है। साथ ही तरह-तरह से भक्त माता रानी को मनाने के जतन कर रहे हैं। इन नौ दिनों में हर कहीं भक्त माता के प्रसिद्ध स्थानों पर जाकर दर्शन कर पुन्य लाभ भी ले रहे है। ऐसा ही एक स्थान है विंध्याचल पर्वत शृंखलाओं में मांडव धरमपुरी मार्ग पर ग्राम चंदावड़ स्थित मां बिजासन का मंदिर।
धार जिले की धरमपुरी तहसील के ग्राम चंदावड़ मेें एक सुनसान जंगल में अति प्राचीन मां बिजासन का मंदिर है। मंदिर की स्थापना सन 1016 में की गई थी। मांडव की तलहटी से निकलने वाली पहाड़ी नदी खुज के किनारे पर मां बिजासन का अति महत्वपूर्ण रमणीय स्थान भक्तों को आकर्षित करता है। खासकर चैत्र व शारदीय नवरात्र में यहा की सुंदरता देखते ही बनती है। यहा की बिजासन माता को चंदावड़ी माता भी कहते है और माता के नाम से ही इस गांव का नाम चंदावड़ पड़ा है।
पुत्र की कामना से होती है पूजा मंदिर के बारे में विख्यात है कि यहां पुत्र की कामना पूरी होती है। माता का स्थान बहुत ही चमत्कारी है। बताते हैं कि अपने चमत्कारों से माता ने कई बार भक्तों को अपनी उपस्थिती का अहसास कराया है। माता के इस स्थान पर यूं तो हर एक मन्नत पूरी होती हैं, लेकिन दंपती खासकर पुत्र की कामना के लिए यहां पर विशेष रूप से मन्नत लेते हैं। मन्नत पूरी होने पर भक्तों द्वारा यहां पर बच्चे का मुंडन कर तुला दान किया जाता है।
पहाड़ी के नीचे था स्थान ग्राम चंदावड के उत्तर की ओर खुज नदी के किनारे स्थित बिजासन मांता का स्थान कालांतर में एक पहाड़ी के नीचे था, जहां पर जाने में भक्तों को परेशानी होती थी। खुज के किनारे होने से बारिश के दिनों मे नदी में ऊफान आने से माता का स्थान डूब जाता था। उक्त परेशानी को समझ कर ग्रामीणों ने माता की मूर्ति को ऊपर लाकर स्थापित किया। मंदिर के ठीक सामने भेरू जी का भी मंदिर है। कहा जाता है कि माता कि मूर्ति अति प्राचीन है व यह स्वंयभू है। मंदिर के आसपास खुदाई में भी कई प्रकार की दुर्लभ आकृति की मूर्तियां मिली हैं, जिन्हें मंदिर परिसर में स्थापित किया गया है।
नवरात्र में लगता है मेला ग्राम चंदावड़ में माता के मंदिर मे यूं तो हमेशा ही दर्शन के लिए भक्तों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन शारदीय व चैत्र के नवरात्र में इस स्थान की महिमा बढ़ जाती है। यहां पर भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। चैत्र की नवमी पर यहां प्रतिवर्ष एक दिवसीय मेला लगता है। मेले मे भारी भीड़ उमड़ती है।
तीन समाज की है कुलदेवी चंदावड़ स्थित मां बिजासन ब्राहमण, राजपूत व चंदावडिय़ा तेली समाज की कुलदेवी है। इन समाज के समाजजन द्वारा प्रतिवर्ष नवरात्र में आकर व अपने कुल में विशेष कार्यक्रम होने पर यहां आकर पूजा कर मन्नत उतारी जाती है। ग्रामीणों द्वारा मंदिर परिसर में एक धर्मशाला व माता का विशाल भवन नदी के किनारे घाट का निर्माण किया गया है।
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