धार जिले के ठेठ आदिवासी क्षेत्र मनावर, कुक्षी, धरमपुरी, सरदारपुर जैसे विकासखंड के सैकड़ों गांव ऐसे हैं, जहां विद्युत कनेक्शन की संख्या के अनुपात में आधे मीटर ही गायब हैं। मसलन बगैर मीटर के एवरेज वसूली से बिजली कंपनी को नुकसान हो रहा है। गांव वाले इसलिए चुप हैं, क्योंकि उन्हें कम दाम में ज्यादा बिजली मिल रही है, जबकि उनकी खाना पूर्ति के लिए बड़े उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डाला जा रहा है। बिल की अंतिम तीथि और कामकाज की व्यस्तता में ग्राहक बिल में खपने के बजाया अंकित रकम जमा कर पीछा छूड़ा लेते हैं, जबकि कुछ ग्राहक कोर्ट का दरवाजा तक खटखटा चुके हैं।
धरमपुरी तहसील के धामनोद निवासी प्रेमलता पति कृष्णकुमार गिरवाल (भंवर) ने बिजली कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता न्यायालय की शरण ली थी। मामला यूं था कि बिजली कंपनी ने प्रेमलता को आंकलित खपत के बिल थमाए थे, जिससे नाराज ग्राहक ने कुछ समय तक अपत्ती दर्ज कराई, लेकिन सुनवाइ्र नहीं होने और निजी व्यस्तताओं के चलते रकम जमा कर दी थी। इस मामले में ग्राहक ने उपभोक्ता न्यायालय की शरण ली, जहां सबूत और सुनवाई के बाद न्यायालय ने 1 जनवरी 2019 को सुनाए फैसले में बिजली कंपनी द्वारा जारी किए गए सभी आंकलित खपत के बिल निरस्त करते हुए आवेदक प्रेमलता को दो विभिन्न मदों में 3 हजार रुपए क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया।
मप्र विद्युत नियामक आयोग के तत्कालीन सचिव अशोक शर्मा ने 4 सितंबर 2008 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें साफ लिखा था कि बिजली कंपनी किसी उपभोक्ता को आंकलित खपत के बिल नहीं थमाएगी। बिल केवल रीडिंग के अनुसार होंगे, जिससे उपभोक्ताओं से बेकार या खपत से ज्यादा वसूली ना हो सके। बावजूद इसके बिजली कंपनी ना तो उपभोक्ता फोरम के आदेश का पालन कर रही है और ना ही विद्युत नियामक आयोग के आदेश का पालन कर रही है।
मेरा मकान धार के सरस्वती नगर में है। बिजली कंपनी ने इस महीने जो बिल दिया उसमें मीटर की खपत तो 88 यूनिट दे रखी, लेकिन साथ ही 200 यूनिट आंकलित खपत के नाम से जोड़ रखे हैं। हमारे साथ आंकलित खपत के नाम पर गलत हुआ है।
–मालती एकनाथ राव गुंजाल, उपभोक्ता
जब नियामक आयोग के आदेश हैं और पूर्व में उपभोक्ता फोरम एक मामले में फैसला देकर बिजली कंपनी की लापरवाही उजागर कर चुकी है तो इस तरह की गलती नहीं होना चाहिए। यदि इसके बाद भी उपभोक्ताओं को आंकलित खपत के नाम से परेशान किया जा रहा है, जबकि नापतोल नियम के अनुसार प्रत्येक वस्तु नाप और तोल के दी जाना चाहिए। आंकलन करने का प्रावधान नहीं होने से आंकलित खपत का बिल गलत है। बिजली के मीटर नापतोल के नियम से मुक्त नहीं है। प्रत्येक उपभोक्ता को न्यायालय की शरण लेना चााहिए।
–सतीश वर्मा, जिला उपाध्यक्ष
अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन मप्र