सिविल सर्जन डॉ. बौरासी का कहना है कि जिला अस्पताल में एक मात्र इलेक्ट्रीशियन है और वह भी समय पर उपलब्ध नहीं होता। यदि ऑपरेशन के समय या किसी इमरजेंसी में लाइट बंद हो जाए और मरीज की जान चली जाए तो जवाब कौन देगा। इसकी लापरवाही दिन ब दिन बढ़ती जा रही है, जिसे बर्दाश्त करना मुनासिब नहीं और जब उसने कह दिया कि रिटायर कर दो तो कलेक्टर को पत्र भेज दिया है।
दूसरे को बर्दाश्त कर रहे डॉक्टर
इलेक्ट्रीशियन के अलावा जिला अस्पताल में एक और कर्मचारी है, जिसकी लापरवाही बढ़ती जा रही है। ड्रेसर की पोस्ट पर कई मलाईदार काम संभालने वाले मलखान का भी अस्पताल आने जाने का समय तय नहीं है। वह आता भी उसकी मर्जी से है और कब कहां मिलेगा यह केवल सिविल सर्जन को ही पता रहता है। हाल ही में मलखान का तबादला हो गया था, लेकिन सिविल सर्जन ने उसे रिलीव करने के बजाया इतना समय दिया कि वह जुगाड़ लगाकर तबादला ही निरस्त करवा लाया। मलखान की लापरवाही पर कार्रवाई नहीं अस्पताल में चर्चा का विषय बना हुआ है।