ये था घटनाक्रम रानू की हत्या 15 मार्च २०२० को हुई थी। जिसकी सूचना मकान मालिक चंदन ने पुलिस को दी थी। रानू ग्रीन गार्डन कालोनी में किराए से रहती थी। 15 मार्च को मकान मालिक ने उसके कमरे से सुबह 5.40 बजे विवाद की आवजें सुनी। जब चंदन तीसरी मंजिल पर गए और रानू का दरवाजा खटखटाया। किसी ने दरवाजा नहीं खोला।उधर रानू का प्रेमी खिडकी से कूदकर भाग गया। मकान मालिक ने खिडकी से झांककर अंदर देखा तो रानू अंदर खून से लथपथ पडी थी। उसके बाद उसने दरवाजा तोडकर देखा तो रानू के शरीर पर हाथ व पेट में घाव थे और गले में रस्सी बंधी थी तथा कमरे की फर्श पर खून पडा था।
17 साक्षियों के हुए बयान मकान मालिक ने रानू के प्रेमी पर शंका जाहिर की थी क्योंकि वह उनके पहुंचने पर खिडकी से कूदकर भागा था। पुलिस थाना में मामला दर्ज कर। तफ्तीश तत्कालीन थाना प्रभारी एमपी वर्मा ने की थी। शासन कही ओर से सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी रमेश डामर एवं अपर लोक अभियोजक बसंत उदासी द्वारा अभियोजन का संचालन किया किया। 7 साक्षीगणों के कथन न्यायालय में हुए तथा न्यायालय में घटना से संबंधित आरोपी द्वारा घटना में उपयोग किए गए औजार एवं सामग्री आदि के संबंध में वैज्ञानिक जांच पुलिस द्वारा कराई गई । न्यायालय द्वारा अभियोजन का मामला सिद्ध मानकर आरोपी को दोषसिद्ध मानते हुए द्वितीय अपर एवं सत्र न्यायाधीश अजय पेन्दाम द्वारा धारा 302 भादवि में आजीवन कारावास एवं 5000 रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया।