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धार

शिकार व पानी की तलाश में खेतों और गांवों की ओर तेंदुए

बड़ा कारण: पानी के लिए हौज बनाए ,लेकिन भोजन की व्यवस्था नहीं

धारApr 22, 2022 / 06:24 pm

shyam awasthi

शिकार व पानी की तलाश में खेतों और गांवों की ओर तेंदुए

जंगलों में हिंसक वन्य प्राणी तेंदुआ, लकड़बग्घा , सियार आदि भोजन पानी के अभाव में जंगलों से पलायन कर ग्रामीण अंचल के नदी नाले, झाडिय़ां है वहां पर ये वन्य प्राणी आशियाना बना रहे हैं।

श्याम अवस्थी

इंदौर. जंगलों में पानी और शिकार की कमी से हिंसक जानवर गांवों व बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं। प्रशासन पानी के इंतजाम तो कर सकता है लेकिन तेंदुओं, सियार, लकडबग्घों सहित अन्य मांसाहारी जानवरों के शिकार की व्यवस्था मुश्किल है। इधर, वीरान जंगलों गर्मी से राहत का कोई इंतजाम नहीं होने से नीलगाय खेतों में विचरण करती है और फसलों को नुकसान पहुंचाती है। इनके पीछे तेंदुए भी आते हैं। हालांकि वन विभाग किसानों को मुआवजा भी देता है।
धार जिले के हिंसक वन्य प्राणियों की भूख प्यास का कोई पर्याप्त प्रबंध पहाड़ी क्षेत्रों में नहीं है । विभाग के पास मांसाहारी प्राणियों से जुड़े केयर के मसले पर विभाग के पास कोई प्लानिंग नहीं है।
ग्रीष्मकालीन ऋतु के आने के बाद हरियाली पतझड़ में बदल जाती है एवं जंगल वीरान हो जाते हैं। इन जंगलों के आश्रित वन्य प्राणियो के भूख-प्यास की तड़प इन्हें ग्रामीण क्षेत्रों की रिहायशी बस्तियों की ओर रुख करने के लिए विवश कर रही है।
इन जंगलों में हिंसक वन्य प्राणी तेंदुआ, लकड़बग्घा जंगली कुत्ते सियार आदि भोजन पानी के अभाव में जंगलों से पलायन कर ग्रामीण अंचल के नदी नाले, झाडिय़ां है वहां पर ये वन्य प्राणी आशियाना बना रहे हैं, तथा ग्रामों के रिहायशी घरों को निशाना बनाकर शिकार नहीं मिलने की दशा में वन्य प्राणी ग्रामीण अंचलों में बच्चों और लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं। तेंदुए गांवों में कुत्तों और मवेशियों के बच्चों को भी घसीट कर जंगल में ले जा रहे हैं।
कोई निश्चित आंकड़ा विभाग के पास नहीं
मनावर, गंधवानी ,उमरबन पहाड़ी क्षेत्रो मैं वन्य प्राणियों के संरक्षण को लेकर वन विभाग पूर्ण रूप से विफल हुआ है, वन्य प्राणियों क़ी जंगल में संख्या को लेकर भी विभाग के पास कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है। अभी तक इन पहाड़ी क्षेत्रों के लगे हुए ग्राम अंचलों में हिंसक वन्य प्राणी तेंदुआ के हमलों से मारे गए बच्चे वह घायल हुए लोगों को वन विभाग के द्वारा मदद तो की गई।
वन्य प्राणियों की एग्जिट संख्या बता पाना मुश्किल है, जंगलों में इनके रहन-सहन तथा पग मार्ग, पोटी एवं इनकी आवाज आदि से पता लगाकर गणना की जाती है, विभाग को वन्य प्राणियों के लिए जंगल में झिरी व हौज आदि बनाकर पानी भरा जाता है, इन हिंसक जानवरों के हमले से प्रभावितों को मुआवजा दिया जाता है।
पीके पाराशर, एसडीओ, सरदारपुर कुक्षी मनावर गंधवानी उमरबन वन परिक्षेत्र
59दिन में 5 तेंदुओं की मौत हुई
6 फरवरी- मानपुर रेंज के उंडवा वनक्षेत्र में दो वर्षीय माता तेंदुए का शव मिला। मौत का कारण टेरेटरी विवाद बताया गया।
18 फरवरी- मानपुर रेंज की सबरेंज काली किराए में फोरलेन के पास जंगल दो वर्षीय माता तेंदुए का शव मिला। मौत का कारण सड़क दुर्घटना बताया गया।
23 फरवरी- मानपुर रेंज के जानापाव के पास 6-7 वर्षीय नर तेंदुए का शव मिला। खाल और नाखून गायब थे। जांच जारी है।
9 मार्च – चोरल रेंज की बाइग्राम बीट के पास 9 मार्च को खेत के कुएं में तेंदुए का शव ग्रामीणों ने देखा। चोरल रेंजर के अनुसार तीन दिन पहले तेंदुआ अंधरे में कुंए में गिरा होगा, जिससे मौत हुई।
2 अपै्रल- नेशनल हाइवे-3 भेरूघाट स्थित भैरव मंदिर के पास नर तेंदुए शव मिला। अफसरों के अनुसार तेंदुए की मौत अज्ञात वाहन की टक्कर से हुई।
चोरल-मानपुर रेंज में सबसे ज्यादा तेेंदुए
इं दौर वन मंडल के चोरल-महू-मानपुर रेंज में 25 से 30 तेंदुओं का मूममेंट है, लेकिन पिछले दो माह में पांच तेंदुओं की मौत ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। जंगल की सुरक्षा करने वाले खानापूर्ति कर रहे है, जिसका नतीजा तेंदुओं की 5 मौतों के रूप में सामने आया है। अब व अफसर तेंदुओं की हिफाजत के लिए अहम कदम उठा रहे है। 23 फरवरी को जानापाव में 6-7 वर्षीय नर तेंदुआ मृत हालत में मिला था। तेंदुए के नाखून और खाल का एक हिस्सा गायब था। इस मामले में अफसरों ने एक मंदिर के पुजारी और युवक को आरोपी बनाया था। पुजारी के पास से चार नाखून भी जब्त किए गए थे, लेकिन खाल का आज तक पता नहीं चला है। तेंदुए की मौत की गुत्थी आज तक नहीं सुलझी है।
भूख-प्यास मिटाने के प्रबंध नहीं
इन जंगलों में हिंसक वन्य प्राणियों के लिए शिकार का कोई प्रबंध नहीं रहा है जितने भी अहिंसक जानवर जंगलों में पलते थे उन्हें इन पहाड़ी ग्राम के लोगों ने शिकार कर कर के खत्म कर दिया है। अब वन्य प्राणियों को अपनी भूख मिटाने के लिए शिकार हेतु कोई अहिंसक जानवर नहीं मिल रहे है जिससे आबादी की ओर रुख कर रहे हैं।
जल्द ही मुख्य मार्गो पर चेतावनी बोर्ड लगाएं जाएंगे। इसके साथ सड़कों के दोनों तय जगहों पर वॉटर पाइंट भी बना रहे है।
नरेंद्र पांडवा, डीएफओ, इंदौर वन मंडल

महू-मानपुर रेंज में सबसे ज्यादा जल संरचनाएं है। यहां प्राणियों के लिए पानी दिक्कत नहीं है। तेंदुए अक्सर शिकार के लिए जंगल से लगे ग्रामीण अंचलों तक पहुंच जाते है।
कैलाश जोशी, एसडीओ, महू

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