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औद्योगिक क्लस्टर हातोद में सुविधाएं नहीं और बदनावर में आ रही कंपनियां

औद्योगिक संघठन का दावा- 3 साल में औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित होगा हातोद

धारApr 28, 2022 / 12:03 am

shyam awasthi

औद्योगिक क्लस्टर हातोद में सुविधाएं नहीं और बदनावर में आ रही कंपनियां

कागज बनाने की एक फैक्ट्री का निर्माण कार्य चल रहा है।

श्याम अवस्थी
इंदौर. उद्योग विकसित होने के आस मे बैठे हातोद के लोगो को एक बार फिर निराशा मिली है। उद्योगपति क्लस्टर हातोद के बजाए बदनावर में ज्यादा रुचि दिखा रहे है। हालांकि इसके पीछे की वजह उद्योग मंत्री राजवर्धन दत्तीगांव की रुचि बताई जा रही है। दत्तीगांव अपनी विधानसभा बदनावर में उद्योगों को लाना चाहते है। हाल ही में वे विदेश में उद्योगों को लेकर एक कॉन्फ्रेंस शामिल हुए थे। जिसमें उद्योगपतियों का सकारात्मक रुख देखने को मिला। औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर के बाद जिले के तिलगारा में फूड प्रोसेसिंग हब व हातोद में औद्योगिक क्षेत्र का विकास होना है। हातोद में 152.46 हेक्टेयर (602.77 बीघा) में इंडस्ट्रीयल एरिया विकसित होना था। औद्योगिक क्षेत्र इंदौर-अहमदाबाद हाइवे से लगा हुआ है। यही इसका सबसे बड़ा फायदा है कि कुछ उद्योगों ने अब यहां ने में रुचि दिखाई थी तो कुछ कंपनियों से चर्चा का दौर जारी था। मप्र शासन ने नवंबर 2014 में अहमदाबाद की श्रीजी इंफ्रास्पेस प्राइवेट लिमिटेड को वर्क ऑर्डर दिया था। प्रोजेक्ट पर कुल 29.2 करोड़ रु. खर्च किए गए है। दिसंबर 2016 में काम पूरा कर दिया गया।
पानी ट्यूबवेल से
हातोद सरपंच प्रतिनिधि भेरूलाल गणावा ने बताया कि यहां फैक्ट्रियों के लिए पानी की पूर्ति ट्यूबवेल से की जा रही है। अभी सिर्फ कागज बनाने की एक फैक्ट्री का निर्माण कार्य चल रहा है। फैक्ट्रियों के लिए पानी की व्यवस्था माही या अन्य डैम से अभी तक नहीं की गई है।
कीमत तय नहीं
हातोद क्षेत्र में फिलहाल जमीनी की कीमत आसमान छू रही है। यहां 1500 से 1700 रुपए स्क्वेयर फीट तक की कीमत का मामला सामने आ रहा है। इस वजह से भी संभवत उद्योग धंधे यहां आने में कतरा रहे हैं।
मिलेगा रोजगार तो रुकेगा पलायन
अभी अमझेरा के तहत आने वाले लगभग 50 गांवों के सैकड़ों मजदूर रोजगार की तलाश में गुजरात पलायन करते हैं। यहां उद्योग डलते हैं तो लोगों को यहीं रोजगार मिलेगा। शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आएगा। उद्योग डलने से यह एरिया और विकसित होगा। जिससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। सूत्र बताते हैं कि बड़ी-बड़ी कंपनियों के अधिकारियों ने यहां आकर जमीन देखी है। तत्कालीन अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने औद्योगिक क्षेत्र में भूमिपूजन के दौरान युवाओं को कंपनियों में रोजगार के लिए आइटीआइ की सलाह दी थी। इस पर युवाओं ने 2 वर्ष में लाखों रु. खर्च कर निजी कॉलेजों से आइटीआइ कोर्स कर लिया, लेकिन यह बेकार हो गया। वे अब भी बेरोजगार हैं। यहां पतंजलि ने भी जमीन देखी थी।
रेलवे सबसे बड़ी दिक्कत, पानी की भी परेशानी
क्षेत्र में सबसे बड़ी दिक्कत के तौर पर रेलवे और पानी है। दरअसल, हातोद क्षेत्र में दो साल पहले रेलवे को लेकर जद्दोजहद हुई थी लेकिन नतीजा सिफर रहा। वहीं पानी भी यहां बड़ी परेशानी है। कई बार माही नदी के पानी को यहां लाने की बात उठी, लेकिन कोई ठोस काम नहीं हो पाया।
3 साल में विकसित होगा हातोद
उद्योगो के बदनावर जाने का कारण दिल्ली- मुंबई एक्सप्रेस है जो इंदौर से जलोढ़ तक पहुंचेगा। उद्योगों को आयात निर्यात मे आसानी होगी। उद्योगों को कंटेनर रतलाम में आसानी से उपलब्ध हो जाएगा। हातोद मे कॉफी प्लाट बिक चुके है, जो बचे है उन्हें विकसित कर उसके दाम निकालकर बेचे जाएंगे। अगले तीन साल मे हातोद औद्योगिक छेत्र के रूप मे विकसित हो जाएगा।
गौतम कोठारी, अध्यक्ष, औद्योगिक संघठन

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