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जिस पर डाऊट उनसे ही करवाना पड़ रही मीटर की जांच

बिजली मीटर में गड़बड़ी की शिकायत पर उनकी लैब में ही हो रही जांच, पूरे पश्चिम क्षेत्र में कहीं भी नहीं निजी लैब

धारSep 20, 2019 / 11:43 am

atul porwal

जिस पर डाऊट उनसे ही करवाना पड़ रही मीटर की जांच

जिस पर डाऊट उनसे ही करवाना पड़ रही मीटर की जांच

पत्रिका पड़ताल एक्सपोज
अतुल पोरवाल@धार.
धार शहर में घरेलू और कमर्शियल मिलाकर कुल 24 हजार 905 उपभोक्ता हैं। हर महीने कई ऐसे उपभोक्ता बिजली कंपनी के चक्कर लगाते नजर आ रहे हैं, जिनको अपने यहा लगे मीटर में गड़बड़ी की आशंका है। ज्यादा बिल आने पर वे मीटर की जांच करवाना चाहते हैं, जिसकी शिकायत भी करते हैं, लेकिन पूरे पश्चिम क्षेत्र में एक भी निजी लैब नहीं होने से उन्हें बिजली कंपनी की लैब पर ही भरोसा करना पड़ रहा है। जुलाई महीने में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की धार लैब में धार उपभोक्ताओं के ४२ मीटर की जांच की गई, जिनमें से ३ मीटर डिफेक्टिव निकले। बता रहे हैं कि इनमें दो मीटर ज्यादा तेज चलते पाए गए, जबकि एक मीटर में कुछ और गड़बड़ी थी। हालांकि अधिकांश उपभोक्ता इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि पहली बात तो शिकायत के बाद कंपनी बातों ही बातों में मीटर को ओके करार दे रही है, जबकि प्रेशर पर जांच की गई मीटरों में गड़बड़ी को छिपाया जा रहा है। इधर बिजली कंपनी के अधिकारी अपनी लैब को निष्पक्ष बता कर की गई जांच को स्पष्ट बता रहे हैं, लेकिन समस्या दूर नहीं होने से उपभोक्ता इस जवाब से संतुष्ट नहीं है।
निजी लैब में जांच के है प्रावधान
विद्युत नियामक आयोग की धारा 8.19 में उपभोक्ता को यह अधिकार प्रदान किया गया है कि वे संदेह पर मीटर की जांच निजी लैब में करवा सकते हैं। इसके लिए नियम यह है कि निजी लैब में मीटर की जांच के वक्त उपभोक्ता के साथ बिजली कंपनी का अधिकारी भी मौजूद रहेगा। लेकिन विडंबना यह है कि पूरे पश्चिम क्षेत्र में एक भी निजी लैब नहीं है, जिससे उपभोक्ता बिजली कंपनी की ही लैब में जांच करवाकर ठगे जा रहे हैं।
बाजार से भी खरीद सकते हैं मीटर
विद्युत नियामक आयोग में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि उपभोक्ता अपने यहां लगे बिजली कनेक्शन के लिए अपनी चयन का मीटर लगवा सकता है। जबकि विश्व उपभोक्ता नियम में साफ लिखा है कि आम उपभोक्ता को मीटर चयन कर खरीदने का अधिकार है। उपभोक्ता केवल बिजली कंपनी पर ही आधारित नहीं है बल्कि वह बाजार से भी मीटर खरीकर लगवा सकता है। लेकिन बिजली कंपनी अपनी मर्जी के मीटर लगा रही है, जिससे उपभोक्ता संतुष्ट नहीं है।
मीटर जांच समय का भी है नियम
विधिक माप विज्ञान के नियम में इलेक्ट्रानिक मापतोल उपकरण एक वर्ष में व मैकेनिकल उपकरण दो वर्ष में एक बार जांच कर सत्यापित किए जाने का प्रावधान है। लेकिन विद्युत नियामक आयोग ने भारत सरकार के नियम के खिलाफ उच्च दाब वाले एक वर्ष में और निम्न दाब वाले पांच वर्ष में जांच का प्रावधान बनाया है, जो धारा 8.15 में वर्णित है। यह नापतोल नियम के विरूद्ध है। इधर बिजली कंपनी ने मैकेनिकल मीटर बंद कर डिजिटल मीटर लागू कर दिए हैं, लेकिन नापतोल नियम में दोनों मीटर चालु रखने का प्रावधान है। नापताल गजट में बिजली के मीटर 1999 तक थे, लेकिन अब इन्हें नापतोल से बाहर कर दिया गया। इसके बाद विद्युत नियामक आयोग ने सत्यापन के संबंध में कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है। इससे उपभोक्ता को सत्यापन का प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है।
उपभोक्ता फोरम ने किया था दंडित
प्रेमलता भंवर(गिरवाल), धामनोद वर्सेस विद्युत वितरण कंपनी के मामले में उपभोक्ता फोरम ने 1 जनवरी 2019 को फैसला सुनाया, जिसमें बिजली कंपनी को धारा 8.15 में उपभोक को बिजली मीटर का प्रमाण पत्र देने का आदेश दिया व आर्थिक दंड से भी दंडित किया। इसके अलावा मानसिक प्रताडऩा का खर्च देने का भी आदेश किया।
आम उपभोक्ता के लिए हमेशा तैयार
विद्युत नियामक आयोग के नियम में कई गड़बडिय़ां है। नियमों में संशोधन के लिए आयोग के समक्ष सुनवाई के दोरान उपभोक्ता के अधिकार के संबंध में बातें रखी है। यदि आयोग उपभोक्ता के हितों के संबंध में संशोधन नहीं करता है तो संगठन की ओर से उच्च न्यायालय में रीड दायर करेंगे।
-सतीश वर्मा, जिला उपाध्याक्ष
अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन
हमारी लैब में कोई कमी नहीं
निजी लैब का मुझे पता नहीं, लेकिन जब भी मीटर की शिकायत आती है हमारी लैब में उसकी जांच की जाती है। लैब में कोई कमी नहीं है। जांच के समय उपभोक्ता को भी साथ रखा जाता है, जबकि हमारे तीन अधिकारी भी मौजूद रहते हैं। मीटर बाजार से खरीद सकते हैं इसकी मुझे जानकारी नहीं।
-नीमेश कुमार, उपयंत्री
मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी

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