स्कूल की दीवारें क्षतिग्रस्त कक्षा कक्ष को बनाया शौचालय
-हैदरी गांव के सरकारी स्कूल भवन के हालात बद् से बद्तर
नालछा.
हैदरी गांव का सरकारी प्राथमिक/ माध्यमिक स्कूल का भवन देखकर लगता ही नहीं कि यह स्कूल भवन होगा। दीवारें क्षतिग्रस्त हैं। शौचालयों के दरवाजे टूट रहे है। चैंबरों के ढकान भी नहीं है। कक्षा कक्ष में गांव के ही लोग शौच से निवृत होकर जा रहे हैं। शिक्षा मंदिर की इस तरह की दुर्दशा शायद ही कहीं देखने में आती होगी। प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद स्कूल भवनों की स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। कलेक्टर के आदेशों की किस तरह धज्जियां उड़ रही है। इसका नमूना देखना हो तो हैदरी गांव के इस स्कूल में आ जाइए। गौरतलब है कि आपदा प्रबंधन की बैठक में कलेक्टर दीपकसिंह ने आदेश दिए थे कि जो भी शासकीय भवन जर्जर अवस्था में संचालित हो रहे हैं। शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने से पहले मरम्मत की जाए।
इधर, स्कूल खुलने की तैयारी
पालक अपने बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल शुरू होने से पहले सारी व्यवस्थाएं कर रहे हैं। किताबें व बस्तों के लिए विद्यार्थी अपने माता-पिता से जिद कर रहे हैं। १५जून के बाद से शैक्षणिक सत्र शुरू होने जा रहा है। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारी जर्जर और बदहाल स्कूल भवन की ओर ध्यान नहीं दे रहे है।
ऐसे हालात नजर आए हैदरी के स्कूल में
पत्रिका ने टीम ने पड़ताल की तो विकासखंड के हैदरी गांव में 4 वर्षों से अधिक समय से स्कूल की दीवार क्षतिग्रस्त है। कक्षा कक्ष में सीमेंट की बोरियां एवं स्कूल कक्ष के अंदर शौच की जा रही है। इससे दुर्गंध का माहौल है। यहां खड़ा रहना भी दूभर है। 2 वर्षों से स्कूल भवन में भंवरी का छत्ता बना हुआ है। इस स्कूल में कोई भी परमानेंट शिक्षक भी नहीं है। जो शिक्षक पढ़ाने आते हंै। वह भी अटैचमेंट और अतिथियों के भरोसे है।
बारिश में छत टपकती है
शाला समिति के अध्यक्ष मुन्ना गिरवाल ने बताया कि 5 वर्ष से हैदरी के प्राथमिक विद्यालय के एक ही कक्षा में पहली से आठवीं तक की कक्षाएं लगती है। यहां भी वर्षा में छत टपकती है। इसकी शिकायत कई बार संस्था प्रभारी को कर चुका हूं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
स्कूल की मरम्मत नहीं की तो होगा आंदोलन
जनपद सदस्य प्रेमबाई सोहन का कहना है कि इस बार यदि स्कूल की मरम्मत नहीं की गई तो ग्रामीणों के साथ में धरना प्रदर्शन करेंगे। मैंने स्वयं बीआरसी एवं ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को लिखित में शिकायत की। जनपद की बैठक में भी यहां की समस्याओं को सीइओ के सामने उठाया गया तो उनका कहना है कि इस मामले में कलेक्टर से चर्चा करो।
मीनू भी तय नहीं है स्कूल का
ग्रामीण बलराम मेड़ा ने बताया कि ना तो मीनू के आधार पर भोजन मिलता है और भोजन स्कूल में नहीं बनाया जाता। महिला अपने घर से ही बनाकर लाती है। यहां तो शौचालय बना है। उसके अंदर मवेशी का भूसा भरा हुआ है। 4 शौचालय 2015 में हमारी पंचायत को मिले थे। चारों अधूरे हैं। जिसके कारण बालिकाएं खुले में शौच करने पर मजबूर हंै।
छात्रों का कहना है-
एक कमरे में लगती है कक्षा
छात्र लोकेश का कहना है कि मैं कक्षा सातवीं में पढ़ रहा हूं। 1 से 8वीं तक की कक्षा एक कमरे में लगाई जाती है। जिससे पढ़ाई नहीं हो पाती है। छात्रा भूरी कैलाश का कहना है कि कक्षा सातवीं में परीक्षा भी दी है। शौचालय अधूरा होने के कारण खुले में ही शौच के लिए मजबूर हंै। कक्षा आठवीं की छात्रा भूरी का कहना है कि मैंने तो कक्षा उत्तीर्ण कर ली है। ना ही चपरासी है। न ही शिक्षक समय पर आते थे। स्कूल आने से पहले पास के कुएं से सभी बच्चे और भोजन बनाने वाली पानी लेकर आती थी।
इनका कहना है-
संस्था प्रभारी से इस विषय में चर्चा कर कर ही कुछ बता पाऊंगा।
संतोष यादव, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, नालछा
शाला समिति अध्यक्ष प्रस्ताव लाकर राशि स्वीकृत कर मरम्मत कार्य कर सकते हैं।
दिलीप शास्त्री,बीआरसी, नालछा ब्लॉक।
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