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पात्र-अपात्र के खेल में बीता साल, अब होगा क्रमिक अनशन से विरोध का शंखनाद

-नर्मदा घाटी के २५ गांवों में एक साथ कल से शुरू होगा क्रमिक अनशन का दौर-आक्रोशित ग्रामीण सालभर बाद फिर ‘डटेंगे नहीं हटेंगेÓ के नारे के साथ डूब क्षेत्र में करेंगे आंदोलन

धारAug 03, 2018 / 09:39 pm

अर्जुन रिछारिया

dhar news

पात्र-अपात्र के खेल में बीता साल, अब होगा क्रमिक अनशन से विरोध का शंखनाद

निसरपुर.
अब नर्मदा घाटी में फिर से आक्रोश उबल रहा है। ग्रामीण सरकार की नीतियों के चलते विरोध प्रदर्शन की राह पर आ गए हैं। मुआवजा राशि देने व नियमों में पात्र-अपात्र का खेल चलते साल बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से समाधान नहीं निकाले जाने से ग्रामीण अंचल में भारी नाराजगी है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के तहत बड़वानी, धार व खरगोन जिले के डूब प्रभावित गांवों की बैठक में यह निर्णय पारित हो गया कि अब रविवार से डूब क्षेत्र के २५ गांवों में एक साथ क्रमिक अनशन शुरू किया जाएगा। नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेता राहुल यादव ने बताया की 5 अगस्त से बड़वानी, धार, खरगोन जिले के 25 गांवो में अनशन जारी होगा। कुक्षी तहसील के निसरपुर, कडमाल, चिखलदा गांव में क्रमिक अनशन शुरू होगा। इसमें 10 लोग या 5 लोगों द्वारा प्रतिदिन क्रमिक अनशन किया जाएगा। डूब क्षेत्र में अब भी 35 हजार परिवारो का पुनर्वास करना बाकी है।
सरदार सरोवर परियोजना के गेट खोल दो
ग्रामीणों ने कहा है कि डूब क्षेत्र की जब तक सभी समस्याओं और लंबित मांगों का समाधान सरकार व प्रशासन की ओर से नहीं किया जाता। हर विस्थापितों का उचित तरीके और सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार पुनर्वास नहीं हो जाता। तब तक घाटी को नहीं छोड़ा जाएगा। ग्रामीणों ने कहा कि सरदार सरोवर बांध परियोजना के गेट खोल दो। ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा है कि हर विस्थापितों का पुनर्वास जब तक नहीं होगा तब तक घाटी नहीं छोड़ेंगे।
192 गांव व धरमपुरी का होना है पुनर्वास
सरदार सरोवर परियोजना में धार, बड़वानी व खरगोन जिले के 192 गांव व 1 नगर धरमपुरी का पुनर्वास करना बाकी है। इन डूब क्षेत्र के गांवों और नगर के लिए चल रहे पुनर्वास कार्यों में गति काफी धीमी होने के कारण प्रभावितों का गांव से विस्थापन नहीं हो पा रहा है। इधर, मुआवजा राशि में भी प्रशासन ने अपात्र और पात्र का नया खेल चालू कर दिया है। इसमें उन लोगों को अपात्र बना दिया, जो रोजगार के लिए बाहर जाकर काम कर रहे हैं, जबकि उनके आधार कार्ड, वोटर आइडी कार्ड यहीं के हैं। मतदाता सूची में उनके नाम इन डूब क्षेत्र के गांवों में दर्ज हैं। रोजगार के लिए पलायन कर गए लोगों को बाहरी व्यक्ति बता कर वास्तविक लाभ से वंचित कर रहा है। मुआवजा देने में में भी भारी विसंगतियां हैं। इसको लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है। इसके चलते ही ग्रामीणों ने एक साल बाद फिर से आंदोलन की राह ली है। ग्रामीणों ने बताया कि आज भी कई परिवारों को मुख्यमंत्री की घोषणा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। घोषणा को 1 साल हो गया है, लेकिन अधिकारी-कर्मचारियों की लेटलतीफी के कारण पैकेज का लाभ नहीं मिल पा रहा है। अधिकारी कर्मचारी पैकेज में पात्र अपात्र कर के ही विस्थापितों को परेशान कर रहे हैं। 5 जून से 19 जुलाई 2018 तक नर्मदा घाटी विकास प्रधिकरण विभाग के आदेशों को भी संपूर्ण अमल नहीं किया गया है।

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