scriptशादी के लिए लड़के और लड़कियों के बीच क्या जरूरी है उम्र का फासला? | best marriage age for girls and boys | Patrika News

शादी के लिए लड़के और लड़कियों के बीच क्या जरूरी है उम्र का फासला?

locationभोपालPublished: May 16, 2019 11:55:21 am

Submitted by:

Pawan Tiwari

शादी के लिए लड़के और लड़कियों के बीच क्या जरूरी है उम्र का फासला?

marriage age

शादी के लिए लड़के और लड़कियों के बीच क्या जरूरी है उम्र का फासला?

जब लड़की की उम्र शादी करने के लायक हो जाती है तो घरवाले उसके लिए वर यानि दूल्हे की तलाश शुरू कर देते हैं। अक्सर हम सुनते और देखते हैं कि लड़की के लिए जब लड़के की तलाश की जाती है, तो उसके उम्र को कुछ ज्यादा तरजीह दी जाती है। माना जाता है कि लड़के की उम्र लड़की से बड़ी होनी चाहिए। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या शादी के समय लड़के और लड़कियों के बीच उम्र का फासला होना चाहिए?
शायद इसका जवाब हां और ना दोनों में हो, इसके पीछे तर्क भी दिए जाएंगे। तर्क से साबित भी कर दिया जाएगा कि लड़के का उम्र लड़की की उम्र से ज्यादा होनी चाहिए। यही नहीं, भारत में कानूनी तौर पर विवाह के लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष तो लड़के की उम्र 21 वर्ष तय किए गए हैं। जबकि बायोलॉजिकल रूप से देखा जाए तो लड़का और लड़की 18 वर्ष की उम्र से शादी योग्य हो जाते हैं।
वहीं, कानून और पंरपार का हिन्दू धर्म से कोई संबंध नहीं हैं। पहले बचपन में ही शादी कर दी जाती थी, जिसे हम बाल विवाह कहते हैं। कहा जाता है कि शादी के वक्त अजीबोगरीब परंपराएं भी होती थी, जबकि इसका संबंध हिन्दू धर्म से नहीं था। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, 16 संस्कारों में विवाह भी एक है। यदी कोई संन्यास नहीं लेता है, तो उसे शादी करना जरूरी है और उसे गृहस्थ जीवन व्यतीत करना होगा। माना जाता है कि विवाह करने के बाद पितृऋण चुकाया जा सकता है। विवाह वि+वाह से बना है। इसका मतलब होता है विशेष रूप से वहन करना। यानि उत्तरदायित्व का वहन करना। विवाह को पाणिग्रहण भी कहा जाता है।
हिन्दू दर्शन के मुताबिक आश्रम प्रणाली में विवाह की उम्र 25 वर्ष थी। दरअसल, विवाह संस्कार हिन्दू धर्म संस्कारों में ‘त्रयोदश संस्कार’ है। स्नातकोत्तर जीवन विवाह का समय होता है। माना जाता था कि विद्या प्राप्त करने के बाद ही विवाह करके गृहस्थाश्रम में प्रवेश करना होता है। शिक्षा विज्ञान के अनुसार, 25 साल की उम्र तक शरीर में वीर्य, विद्या, शक्ति और भक्ति का पर्याप्त संचय हो जाता है। इस संचय के आधार पर ही व्यक्ति गृहस्थ आश्रम की सभी छोटी-बड़ी जिम्मेदारियों को निभा पाने में सक्षम होता है।
वहीं, श्रुति वचन के अनुसार, हिन्दू संस्कृति में विवाह कभी ना टूटने वाला एक परम पवित्र धार्मिक संस्कार है, यज्ञ है। वर-वधू का जीवन सुखी बना रहे इसके लिए विवाह पूर्व लड़के और लड़की की कुंडली का मिलान कराया जाता है।
जहां तक उम्र के फासला का सवाल है तो ऐसा हिन्दू धर्म कोई खास हिदायत नहीं देता है। लड़की की उम्र ज्यादा हो, समान हो या कम, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। हिन्दू धर्म के अनुसार. अगर दोनों संस्कारवान हैं तो दोनों में समझदारी होगी, अगर नहीं हैं तो शादी एक समझौताभर है और यह समझौता कब तक कायम रहेगा, यह कोई नहीं कह सकता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो