गणेश स्तुती – 1
॥ गजानन्द महाराज पधारो ॥
॥ श्लोक ॥
प्रथम मनाये गणेश के, ध्याऊ शारदा मात,
मात पिता गुरु प्रभु चरण मे, नित्य नमाऊ माथ ॥
गजानंद महाराज पधारो, कीर्तन की तैयारी है,
आओ आओ बेगा आओ, चाव दरस को भारी है ॥
थे आवो ज़द काम बणेला, था पर म्हारी बाजी है,
रणत भंवर गढ़ वाला सुणलो, चिन्ता म्हाने लागि है,
देर करो मत ना तरसाओ, चरणा अरज ये म्हारी है,
॥ गजानन्द महाराज पधारो ॥
रीद्धी सिद्धी संग आओ विनायक, देवों दरस थारा भगता ने ।
भोग लगावा ढोक लगावा, पुष्प चढ़ावा चरणा मे ।
गजानंद थारा हाथा मे, अब तो लाज हमारी है ।
॥ गजानन्द महाराज पधारो ॥
भगता की तो विनती सुनली, शिव सूत प्यारो आयो है ।
जय जयकार करो गणपति की, म्हारो मन हर्शायो है ।
बरसेंगा अब रस कीर्तन में, भगतौ महिमा भारी है ।
॥ गजानन्द महाराज पधारो ॥
गजानंद महाराज पधारो, कीर्तन की तैयारी है ।
आओ आओ बेगा आओ, चाव दरस को भारी है ॥
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गणेश स्तुती – 2
श्री गणेश – शेंदुर लाल चढ़ायो
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको । दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको । महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥
जय देव जय देव, जय जय श्री गणराज
विद्या सुखदाता धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता, जय देव जय देव ॥
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि । विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी ।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी । गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि
॥ जय देव जय देव ॥
भावभगत से कोई शरणागत आवे । संतत संपत सबही भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे । गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥
जय देव जय देव, जय जय श्री गणराज, विद्या सुखदाता, हो स्वामी सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन, मेरा मन रमता, जय देव जय देव ॥
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