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Holashtak 2021: होलाष्टक में ये उपाय देता है धन लाभ, जानें इस दौरान क्या करें व क्या न करें?

ज्योतिष शास्त्र में होली से आठ दिन पूर्व शुभ कार्यों के करने की मनाही….

भोपालFeb 28, 2021 / 09:02 am

दीपेश तिवारी

Holashtak 2021 kab se hai- Date and time

Holashtak 2021 kab se hai- Date and time

हिंदुओं के प्रमुख त्योहार में से एक होली का पावन पर्व इस महीने यानि मार्च 2021 में आने वाला है। इसके पूर्व होलाष्टक शुरू हो जाएगा। होलाष्टक प्रत्येक वर्ष होली के करीब आठ दिन पहले शुरू हो जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक इस वर्ष होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरु हो जाएंगे। ऐसे में यह 22 मार्च से शुरू होकर 28 मार्च तक चलेंगे। दरअसल ज्योतिष शास्त्र में होली से आठ दिन पूर्व शुभ कार्यों के करने की मनाही होती है। होली से पूर्व के इन आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है।

होलाष्टक से जुड़ी कई धार्मिक मानयताओं के अनुसार जब होलाष्टक चल रहा होता है तब शादी करने, वाहन या घर खरीदने या किसी अन्य मांगलिक कार्य को रखने की मनाही होती है। लेकिन आप इस होलाष्टक में भगवान की पूजा पाठ, उनका स्मरण और भजन इत्यादि कर सकते हैं। इससे शुभ फल प्राप्त होता है।

अशुभ माना जाता है होलाष्टक :
जानकारों के अनुसार इन आठ दिनों में कोई भी मांगलिक कार्यों को करना निषेध होता है। इस समय मांगलिक कार्य करना अशुभ माना जाता है। होलाष्टक के अशुभ होने के 3 कारण बताए गए हैं। इसके संबंध में दो पौराणिक कथाएं हैं। पहली भक्त प्रह्लाद और दूसरी कामदेव से जुड़ी हुई हैं।

1. भक्त प्रहलाद : पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान श्रीहरि विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए आठ दिन तक कठिन यातनाएं थीं। आठवें दिन वरदान प्राप्त होलिका जो हिरण्यकश्यप की बहन थी, वो भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर बैठी और जल गई थी, जबकि भक्त प्रहलाद बच गए।

2. रति पति कामदेव : कहते हैं कि देवताओं के कहने पर कामदेव ने शिव की तपस्या भंग करने के लिए कई दिनों में कई तरह के प्रयास किए थे। तब भगवान शिव ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि को कामदेव को भस्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी रति ने उनके अपराध के लिए शिवजी से क्षमा मांगी, तब भोलेनाथ ने कामदेव को पुनर्जीवन देने का आश्वासन दिया।

3. ज्योतिषीय धारणा : वहीं ज्योतिषियों के अनुसार होलाष्टक का प्रभाव तीर्थ क्षेत्र में नहीं माना जाता है, लेकिन इन आठ दिनों में मौसम परिवर्तित हो रहा होता है, व्यक्ति रोग की चपेट में आ सकता है और ऐसे में मन की स्थिति भी अवसाद ग्रस्त रहती है। इसलिए शुभकार्य वर्जित माने गए हैं। होलाष्टक के आठ दिनों को व्रत, पूजन और हवन की दृष्टि से अच्छा समय माना गया है।

ज्योतिष विद्वानों के अनुसार अष्टमी को चंद्रमा, नवमी तिथि को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र और द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव के हो जाते हैं। इन ग्रहों के निर्बल होने से मनुष्य की निर्णय क्षमता क्षीण हो जाती है। इस कारण मनुष्य अपने स्वभाव के विपरीत फैसले कर लेता है। यही कारण है कि व्यक्ति के मन को रंगों और उत्साह की ओर मोड़ दिया जाता है।

इसके अलावा यदि आप होलाष्टक के दौरान कुछ खास उपायों को करते हैं तो आपको कई तरह के लाभ भी होते हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं…

संतान के लिए: यदि किसी कपल को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है तो वह होलाष्टक में लड्डु गोपाल की विधि विधान से पूजा पाठ करें। इस दौरान हवन भी करें जिसमें गाय का शुद्ध घी और मिश्री का इस्तेमाल करें। इस उपाय को करने से निसन्तान को भी संतान प्राप्त हो जाती है।

करियर में सफलता के लिए: यदि आप अपने करियर में तरक्की पर तरक्की चाहते हैं तो होलाष्टक में यह उपाय करें। घर या ऑफिस में जौ, तिल और शक्कर से हवन करवाएं। ऐसा कर आपके करियर में आने वाली सभी बाधाएं खत्म हो जाएगी। आप जिस भी फील्ड में काम स्टार्ट करेंगे उसमें आसानी से सफलता का स्वाद चख सकेंगे।

धन प्राप्ति के लिए: यदि आप आर्थिक रूप से कमजोर हैं या अत्यधिक धन की कामना रखते हैं तो होलाष्टक में यह उपाय जरूर करें। कनेर के फूल, गांठ वाली हल्ती, पीली सरसों और गुड़ के द्वारा अपने घर में हवन करें। ऐसा करने से पैसों से जुड़ी सभी दिक्कतें दूर हो जाएगी। इतना ही नहीं संपत्ति से जुड़े मामलों में भी लाभ होगा।

अच्छी हेल्थ के लिए: अपनी अच्छी सेहत के लिए आपको होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। ये जाप करने के बाद गुग्गल से हवन भी करना न भूलें। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से असाध्य रोग से मुक्ति प्राप्त होती है।

सुखमय जीवन के लिए: यदि आपके जीवन में अत्यधिक दुख हैं तो होलाष्टक में हनुमान चालीसा और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना शुरू कर दें। इससे आपके सभी दुख समाप्त हो जाएंगे। जीवन में खुशियां ही खुशियां होगी। आपकी लाइफ सुख सुविधाओं से सज्जित होगी।

होलाष्टक – क्या करें, क्या न करें…
ये करें : होलाष्टक में भले ही शुभ कार्यों के करने की मनाही है लेकिन इन दिनों में अपने आराध्य देव की पूजा अर्चना कर सकते हैं। व्रत उपवास करने से भी आपको पुण्य फल मिलते हैं। इन दिनों में धर्म कर्म के कार्य, वस्त्र, अनाज व अपनी इच्छा व सामर्थ्य के अनुसार जरुरतमंदों को धन का दान करने से भी आपको लाभ मिल सकता है।

ये न करें : होलाष्टक के दौरान विवाह का मुहूर्त नहीं होता इसलिये इन दिनों में विवाह जैसा मांगलिक कार्य संपन्न नहीं करना चाहिए। इसके अलावा इन दिनों में नये घर में प्रवेश भी नहीं करना चाहिये। इसके साथ ही भूमि पूजन भी इन दिनों में न ही किया जाये तो बेहतर रहता है।

वहीं नवविवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की सलाह दी जाती है। हिंदू धर्म में 16 प्रकार के संस्कार बताये जाते हैं इनमें से किसी भी संस्कार को संपन्न नहीं करना चाहिये। हालांकि दुर्भाग्यवश इन दिनों किसी की मौत होती है तो उसके अंत्येष्टि संस्कार के लिये भी शांति पूजन करवाई जाती है। इसके साथ ही इस दौरान किसी भी प्रकार का हवन, यज्ञ कर्म भी इन दिनों में नहीं किये जाते।

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