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धर्म-कर्म

श्राद्ध पक्ष में पाएं पितृ दोष से मुक्ति, खुल जाएंगे सौभाग्य के द्वार

ज्योतिष में पूर्व जन्म के कर्मों के फलस्वरूप वर्तमान समय में कुंडली में स्थित ग्रह दिशा प्रदान करते हैं

Sep 27, 2016 / 02:40 pm

सुनील शर्मा

kundali me Pitra Dosh or upay, pitra moksha

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ज्योतिष में पूर्व जन्म के कर्मों के फलस्वरूप वर्तमान समय में कुंडली में स्थित ग्रह दिशा प्रदान करते हैं। इस कारण हमारे सभी वेद-पुराणों में धर्म कार्य, दान-पुण्य आदि को बहुत महत्व दिया गया है। यदि हमारे कर्म अच्छे होते हैं तो अगले जन्म में ग्रह सकारात्मक परिणाम देते हैं। यदि हम इस जन्म में पिता की हत्या, पिता का अपमान, बड़े-बुजुर्गों का अपमान आदि करते हैं तो अगले जन्म में निश्चित तौर पर हमारी कुंडली में पितृ दोष आ जाता है।

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कुंडली में पितृ दोष की स्थिति
यदि आपकी कुंडली में सूर्य के साथ शनि, राहू, केतु है तो यह पितृ दोष है। यदि कुंडली के किसी भी घर में मंगल के साथ राहू, केतु स्थित है तो भी पितृ दोष बनता है। मंगलकृत पितृ दोष होने से जातक के परिवार तथा अपने से छोटे व्यक्तियों से संबंध कभी अच्छे नहीं होते। एवं सूर्यकृत पितृ दोष हो तो जातक के अपने परिवार में बड़े लोगों से विचार नहीं मिलते। किसी न किसी बात को लेकर जैसे वसीयत या जमीन को लेकर विवाद रहेगा।

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वास्तव में पितृ वंशज की श्रद्धा के भूखे होते हैं। उनके द्वारा उनके पीछे दान की गई चीजों के भूखे नहीं होते। श्रद्धा की भावना के बिना किया गया श्राद्ध तथा तर्पण सर्वथा निरर्थक तथा अधूरा माना जाता है। श्राद्ध कर्म पितरों के आशीर्वाद से धन-धान्य, सुख-समृद्धि, संतान और स्वर्ग की प्राप्ति करवाता है। शास्त्रों में पितरों को देवताओं से भी अधिक कृपालू, दयालु तथा प्रबल कल्याणकारी माना गया है। पितृपक्ष में श्राद्ध न किए जाने से पितृ अतृप्त होकर कुपित हो जाते हैं जिससे व्यक्ति को अनेकों कष्ट तथा दुख भोगने पड़ते हैं।

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पितरों की शांति एवं पितृ दोष निवारण हेतु ये उपाय करें
(1) जनकल्याण के कार्य करें, वृक्षारोपण करें। ठंडे जल की व्यवस्था करें ताकि सड़कों पर गरीब आदमी प्यासा न रहें। गायों के लिए पानी की कुंडी बनवाएं।
(2) परिवार के किसी सदस्य की अकालमृत्यु होने पर उसके निमित्त पिंडदान अवश्य करें।
(3) अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों के नाम पर मंदिर में दूध, चीनी, सफेद कपड़ों का दान करें।
(4) पीपल की 108 परिक्रमा लगातार 108 दिन तक लगाएं।
(5) श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मणों तथा बहन-बेटियों को खाना खिलाएं व वस्त्र भेंट करें।
(6) गाय को हरी घास तथा गुड़ खिलाएं।
(7) पितृदोष निवारण यंत्र भी मंदिर में स्थापित करें। यदि कष्ट एवं गृहक्लेश ज्यादा हो तो घर के पितरों की माला नारियल के साथ घर के मंदिर की बाईं तरफ रखें।
(8) प्रतिदिन खीर जरूर बनाएं तथा पितरों को भोग लगाएं।
(9) कभी भी श्राद्ध पक्ष में किसी व्यक्ति के जो सामान्य परिचित भी न हो तो उनके घर भोजन न करें। आपके ऊपर दूसरे के घर भोजन करने से पितृऋण चढ़ता है।
(10) अपने पितृ अर्थात परिवार के पूर्वज जिनका स्वर्गवास हो गया हो, उनकी श्वेत श्याम (B&W) फोटो पश्चिम या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके लगाएं।

– डॉ. कैलाश प्रज्ञ सुथार (अंक ज्योतिषी)

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