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नवरात्र के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस दिन को महानवमी भी कहा जाता है। महानवमी पर शक्ति पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि इस पूजा को करने से निश्चित रूप से विजय की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि नवमी के दिन महासरस्वती की उपासना करने से विद्य़ा बुद्धि की प्राप्ति होती है।
नवरात्र के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस दिन को महानवमी भी कहा जाता है। महानवमी पर शक्ति पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि इस पूजा को करने से निश्चित रूप से विजय की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि नवमी के दिन महासरस्वती की उपासना करने से विद्य़ा बुद्धि की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप नवदुर्गा में मां सिद्धिदात्री का स्वरूप अंतिम और 9वां स्वरूप है। माना जाता है कि यह समस्त वरदानों और सिद्धियों को देने वाली देवी हैं। मां सिद्धिदात्री कमल के पुष्प पर विराजमान हैं और इनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, नाग, देवी-देवता और मनुष्य सभी इनकी कृपा से सिद्धियों को प्राप्त करते हैं।
ऐसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के नवमी तिथि को सुबह में स्नान ध्यान करके मां के समक्ष दीपक जलाएं। इसके बाद मां को कमल के 9 फूल अर्पित करें। फूल अर्पित करने के बाद मां को 9 तरह के भोजन से भोग लगाएं और फिर ऊँ हृीं दुर्गाय नम: मंत्र का जप करें।
ग्रहों का शांत करने के लिए महानवमी के दिन ग्रहों को शांत करने के लिए मां सिद्धिदात्री के समक्ष घी का चौमुखी दीपक जलाएं। इसके बाद कमल का फूल अर्पित करें। अगर कमल का फूल ना हो तो लाल फूल अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद देवी को मिसरी, गुड़, हरी सौंफ, केला, दही, देसी घी और पान का पत्ता अर्पित करें और फिर ग्रहों के शांत होने के लिए मां से प्रार्थना करें।