script6 माह में नहीं पढ़ा पाए एक भी पाठ | 6 months were unable to read a single text | Patrika News
धौलपुर

6 माह में नहीं पढ़ा पाए एक भी पाठ

राजकीय विद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के तमाम प्रयासों को
शिक्षा विभाग की अनदेखी ही ग्रहण लगा रही है। विद्यार्थियों की
अद्र्धवार्षिक परीक्षाएं

धौलपुरDec 05, 2015 / 10:49 pm

कमल राजपूत

Dholpur news

Dholpur news

बसेड़ी। राजकीय विद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के तमाम प्रयासों को शिक्षा विभाग की अनदेखी ही ग्रहण लगा रही है। विद्यार्थियों की अद्र्धवार्षिक परीक्षाएं सिर पर हैं, लेकिन एक ऐसा भी विद्यालय है जहां बोर्ड परीक्षा की कक्षा दसवीं के विद्यार्थियों को अंग्रेजी व सामाजिक विज्ञान का एक भी पाठ अब तक पढ़ाया ही नहीं गया। ऐसे में इन विद्यार्थियों की नींद उड़ी हुई है।

मामला बसेड़ी कस्बे के राजकीय बालिका उमा विद्यालय का है। विद्यालय की कक्षा दसवीं में पढऩे वाली बालिकाओं ने बताया कि अद्र्धवार्षिक परीक्षाएं सिर पर आ चुकी हैं, लेकिन उन्हें अभी तक अंग्रेजी व सामाजिक विज्ञान विषय का एक भी पाठ नहीं पढ़ाया गया है। ऐसे में उन्हें रात-दिन यहीं चिंता सता रही है कि आखिर वो इन दोनों विषयों के प्रश्नपत्रों का कैसे सामना कर पाएंगी।

कैसे देंगे परीक्षा
विद्यालय में कक्षा 6 से12 तक की कक्षाएं संचालित होती है। विद्यालय में व्याख्याताओं का अभाव है। वर्तमान में केवल एक व्याख्याता यहां नियुक्त है, वह भी इसी माह सेवानिवृत्त हो जाएंगे। पूरे विद्यालय के संचालन का जिम्मा महज तीन शिक्षकों के ऊपर है। इनमें से एक परीक्षा प्रभारी का काम भी संभालते हैं। ऐसे में साफ है कि विद्यालय में संचालित होने वाली सात कक्षाओं की पढ़ाई आखिर तीन शिक्षक कैसे करा पाएंगे। विद्यालय में अध्ययनरत छात्राओं का कोर्स पूरा न होने से उनके परिजन भी परेशान हैं।

आंदोलन से भी नहीं मिली राहत
छात्राओं ने बताया कि विद्यालय के गिरते शैक्षणिक स्तर व अध्यापकों की कमी को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया गया। लिखित में शिकायतें भी दी। सितम्बर माह में स्कूल के मुख्यद्वार पर तालाबंदी कर शिक्षण कार्य के बहिष्कार की चेतावनी के बाद विभाग ने समीप के एक विद्यालय से वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में तीन शिक्षकों को यहां लगाया था लेकिन उन्हें भी एक माह बाद ही हटा लिया गया। विद्यालय में 5 से 8 किमी की दूरी से पढऩे आने वाली गांवों की बालिकाओं ने बताया कि वो इतनी परेशानी उठाकर रोज विद्यालय आती है, लेकिन जब यहां पढ़ाई नहीं होती तो उन्हें बेहद निराशा होती है।

पड़ रहा विपरीत प्रभाव
विद्यालय में अध्यापकों की कमी के कारण अंग्रेजी जैसे विषय का एक भी पाठ नहीं पढ़ाया गया है।विद्यालय में कुल तीन शिक्षक व एक व्याख्याता हैं। व्याख्याता इसी माह सेवानिवृत्त होने जा रही हैं। ऐसे में शिक्षण व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पडऩा लाजमी है। राजेश शर्मा, कार्यवाहक संस्था प्रधान, बसेड़ी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो