कार्यालय में एक सफाई कर्मी को नगरपालिका की ओर से यहां पर लगाया हुआ है। मार्च महीने में ही सरकार के अधिकांश लेनदेन कार्य होते हैं। यानी बजट संबंधी कार्यों को जो भी लेखा-जोखा है, उसे इस माह तक निपटाया जाता है। एक अप्रेल से नया वित्तीय वर्ष शुरू हो जाएगा। लेकिन मंगलवार को यहां कुछ राजकीय कर्मचारी अपने विभागीय कार्यों से यहां पहुंचे तो कार्यालय में कोई कर्मिक मौजूद नहीं मिला। उपकोषाधिकारी के कक्ष के बाहर एक महिला सफाई कर्मी तैनात थी। परेशान कार्मिकों ने मौके पर वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। जिससे सरकारी विभागों की हकीकत सामने आ गई। जबकि लोकसभा चुनाव के चलते जिला निर्वाचन अधिकारी ने स्पष्ट तौर पर मुख्यालय पर अधिकारी व कार्मिकों को बने रहने के निर्देश दे रखे हैं।
वीवीपैट प्रदर्शक के भरोसे कार्यालय कार्यालय में विभागीय कर्मचारी अधिकारी मौजूद नहीं था। बल्कि एक अन्य विभागीय कर्मचारी आगंतुकों को वीवीपैट का प्रदर्शन करने के लिए मौजूद बताया जो चुनाव कार्य की ड्यूटी पर था। इसका विभाग से कोई वास्ता नहीं है।
सरकारी कार्यालयों की हकीकत! बता दें कि सरकारी महकमों में ये स्थिति उप कोष कार्यालय में नहीं बल्कि कई में हैं। जिम्मेदार अधिकारी व कार्मिक नदारद मिलते हैं। जिससे आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई सरकारी कार्यालय जो अलग-थलग हैं, उनकी स्थिति तो और अधिक खराब है। जांच नहीं होने से वह अपने हिसाब से कार्यालय पहुंचते हैं।
– कर्मिक विभागीय कार्य से किसी अन्य कार्यालय को गया था जो थोड़ी देर में ही आ गया था। उनके पास भी कई विभागों के अतिरिक्त चार्ज हैं। राजकार्य के लिए विपरीत हालात में भी अतिरिक्त कार्य कर कार्य पूरा किया जा रहा है।
– राजकपूर सोनी, उपकोषधिकारी, राजाखेड़ा