जल संग्रहण के सभी केंद्र पूरी तरह अतिक्रमित होकर अब लुप्त हो चुके हैं। रियासतकलीन सभी तालाबों का अस्तित्व अब खत्म होने के कगार पर है, जिसके चलते अब बारिश का पानी संग्रहित न होकर शहर में भरकर बाढ़ का रूप ले लेता है। लेकिन स्वयं विधायक रोहित वोहरा के निर्देशों के बाद भी उपखंड और नगरपालिका प्रशासन इन्हें खाली नहीं करा पाया है। जिससे आगामी समय में भी कोई राहत की उम्मीद नहीं है।
ड्रेनेज सिस्टम चढ़ा भ्रष्ट्राचार की भेंट
शाहर के सफल रियासतकालीन ड्रेनेज सिस्टम को पूरी तरह तहस नहस कर उसके पुनर्निर्माण के नाम पर पिछले 5 वर्षों में 4 करोड़ से अधिक राशि खर्च कर बिना तकनीकी दक्षता के ही नाले बनवा डाले, जिनमें बहाव की जांच तक नहीं की गई। कई नाले तो निर्माण के साथ ही ढह गए, जो पालिका के घटिया निर्माणों में अधिकारियों व ठेकेदारों की मिलीभगत को स्पष्ट परिलक्षित कर रहा है। ऐसे गंभीर प्रकरणों में कार्यवाही कर दंडित करना तो दूर उन्ही ठेकेदारों को बड़े काम देकर उपकृत किया गया। मछला की पार इलाके के बहाव को दुरुस्त करने के नाम पर पिछले एक दशक में सर्वाधिक व्यय किया गया। लेकिन यही इलाका आज भी सर्वाधिक जलभराव का शिकार है। जहां बुधवार को 3 से 4 फीट पानी भरा हुआ था।
रिसने लगा नवनिर्मित नाला
धौलपुर मार्ग पर बैंक के पास पिछले 15 दिन पहले ही निर्मित नाला तो जल के वेग को रोक ही नहीं पाया और उसमें से जमीन लेवल पर सारा पानी बाहर निकल कर सड़कों पर एकत्रित हो रहा था। जिससे इस इलाके के व्यापारियों में भारी आक्रोश था।
पिछले एक दशक में विकास के नाम पर जनता के धन को दुहा है। इस समय के सभी निर्माण कार्यो की गुणवत्ता की जांच राज्यस्तरीय एजेंसी के करवाकर दोषियों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करवाए जाएं, तभी हालात सुधरेंगे। हम इस लड़ाई को आखिर तक लड़ेंगे।
लोकेंद्र सिंह चौहान, पार्षद एवं भाजपा नेता
अरबों नहीं खरबो रुपए की तालाबों की बेशकीमती जमीनें अब कंक्रीट जंगल बन चुकी है। तालाब तो अब भूतकाल की बात हो गए। सिर्फ न्यायालय के दखल से ही हालात सुधर सकते है।
लक्ष्मीकांत गुप्ता, व्यापारी
वीरेंद्र सिंह जादौन, नगरपालिकाध्यक्ष राजाखेड़ा।