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धौलपुर

करोड़ों से निर्मित ड्रेनेज सिस्टम नहीं झेल पाया पहली बारिश का जोर

राजाखेड़ा. नगरपालिका के निर्माण कार्यों में व्याप्त भारी भ्रष्टाचार की कलई पहली बारिश में ही खुल गई और 3 करोड़ रुपए से अधिक राशि ड्रेनेज व्यवस्था सुधार के नाम पर खर्च करने के बाद पहली बारिश में ही

धौलपुरJul 29, 2021 / 06:36 pm

Naresh

Crores-built drainage system could not withstand the force of the first rain

करोड़ों से निर्मित ड्रेनेज सिस्टम नहीं झेल पाया पहली बारिश का जोर

करोड़ों से निर्मित ड्रेनेज सिस्टम नहीं झेल पाया पहली बारिश का जोर
– नगरपालिका के निर्माण कार्यो में गड़बड़झाले की खुली पोल

ड्रेनेज सिस्टम सुधार के नाम पर 3 करोड़ से अधिक खर्च के बाद भी बाढ़ के हालात
राजाखेड़ा. नगरपालिका के निर्माण कार्यों में व्याप्त भारी भ्रष्टाचार की कलई पहली बारिश में ही खुल गई और 3 करोड़ रुपए से अधिक राशि ड्रेनेज व्यवस्था सुधार के नाम पर खर्च करने के बाद पहली बारिश में ही शहर में 3 से 4 फीट तक का जलभराव होने से बाढ़ जैसे हालात बन गए। अधिकांश इलाके जलभराव की चपेट में आ गए। जिनमें खुद नगरपालिका कार्यालय के पास से बिजलीघर, आदर्श नगर और हाट मैदान के हालात तो भयावह थे। जब पालिका अपने कार्यालय के पास जलभराव को नियंत्रित नहीं कर सकता तो शहर के भीतरी भागों के हालात की कल्पना आसानी से की जा सकती है।
क्या थे हालात
सर्वाधिक प्रभावित इलाकों में हाट मैदान के मछला की पार इलाके में 3 से 4 फीट जलभराव था, जहां लोगों के घरों में भी भारी मात्रा में नालों का पानी भर चुका था। यहां का सामुदायिक केंद्र भी जलभराव में 35 फीसदी डूब चुका था। थाने के सामने आदर्श नगर की ओर भी कई कई फीट जलभराव था। रोहाई, पीरकी, बिचोला रोड, श्मशान, नयावास, नाहिला मार्ग, बाइपास मार्ग भारी जलभराव की चपेट में थे।
क्या हैं कारण
जल संग्रहण के सभी केंद्र पूरी तरह अतिक्रमित होकर अब लुप्त हो चुके हैं। रियासतकलीन सभी तालाबों का अस्तित्व अब खत्म होने के कगार पर है, जिसके चलते अब बारिश का पानी संग्रहित न होकर शहर में भरकर बाढ़ का रूप ले लेता है। लेकिन स्वयं विधायक रोहित वोहरा के निर्देशों के बाद भी उपखंड और नगरपालिका प्रशासन इन्हें खाली नहीं करा पाया है। जिससे आगामी समय में भी कोई राहत की उम्मीद नहीं है।
ड्रेनेज सिस्टम चढ़ा भ्रष्ट्राचार की भेंट
शाहर के सफल रियासतकालीन ड्रेनेज सिस्टम को पूरी तरह तहस नहस कर उसके पुनर्निर्माण के नाम पर पिछले 5 वर्षों में 4 करोड़ से अधिक राशि खर्च कर बिना तकनीकी दक्षता के ही नाले बनवा डाले, जिनमें बहाव की जांच तक नहीं की गई। कई नाले तो निर्माण के साथ ही ढह गए, जो पालिका के घटिया निर्माणों में अधिकारियों व ठेकेदारों की मिलीभगत को स्पष्ट परिलक्षित कर रहा है। ऐसे गंभीर प्रकरणों में कार्यवाही कर दंडित करना तो दूर उन्ही ठेकेदारों को बड़े काम देकर उपकृत किया गया। मछला की पार इलाके के बहाव को दुरुस्त करने के नाम पर पिछले एक दशक में सर्वाधिक व्यय किया गया। लेकिन यही इलाका आज भी सर्वाधिक जलभराव का शिकार है। जहां बुधवार को 3 से 4 फीट पानी भरा हुआ था।
रिसने लगा नवनिर्मित नाला
धौलपुर मार्ग पर बैंक के पास पिछले 15 दिन पहले ही निर्मित नाला तो जल के वेग को रोक ही नहीं पाया और उसमें से जमीन लेवल पर सारा पानी बाहर निकल कर सड़कों पर एकत्रित हो रहा था। जिससे इस इलाके के व्यापारियों में भारी आक्रोश था।
इनका कहना है
पिछले एक दशक में विकास के नाम पर जनता के धन को दुहा है। इस समय के सभी निर्माण कार्यो की गुणवत्ता की जांच राज्यस्तरीय एजेंसी के करवाकर दोषियों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करवाए जाएं, तभी हालात सुधरेंगे। हम इस लड़ाई को आखिर तक लड़ेंगे।
लोकेंद्र सिंह चौहान, पार्षद एवं भाजपा नेता
इनकाकहना है
अरबों नहीं खरबो रुपए की तालाबों की बेशकीमती जमीनें अब कंक्रीट जंगल बन चुकी है। तालाब तो अब भूतकाल की बात हो गए। सिर्फ न्यायालय के दखल से ही हालात सुधर सकते है।
लक्ष्मीकांत गुप्ता, व्यापारी
इनका कहना है

मैंने खुद सभी जिम्मेदार अधिकारियों के साथ सभी बिंदुओं पर गहन समीक्षा की है। जो नाला रिस रहा है, वह अभी निर्माणाधीन है। जहां कमियां पाई जाएंगी, वहां कार्रवाई की जाएगी।
वीरेंद्र सिंह जादौन, नगरपालिकाध्यक्ष राजाखेड़ा।

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