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धौलपुर

ऊंचे रसूखात पर तप रहीं भट्टियां!

आबादी क्षेत्र में 100 से अधिक ईंट भट्टे संचालित ईंटों की थपाई के लिए कृषि भूमि का हो रहा खनन दिन प्रतिदिन खत्म हो रही खेती

धौलपुरJan 20, 2019 / 08:11 pm

Amit Singh

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ऊंचे रसूखात पर तप रहीं भट्टियां!


ऊंचे रसूखात पर तप रहीं भट्टियां!
-आबादी क्षेत्र में 100 से अधिक ईंट भट्टे संचालित
-ईंटों की थपाई के लिए कृषि भूमि का हो रहा खनन
-दिन प्रतिदिन खत्म हो रही खेती
-सिवायचक जमीन भी अवैध खनन की भेंट चढ़ी
-जांच में अवैध साबित फि र भी खनन पर नहीं लगाम
राजाखेड़ा. उपखंड में अवैध खनन माफि या अपने धन-बल व राजनीतिक रसूखात से प्रशासन पर पूरी तरह हावी हैं। जिसके चलते क्षेत्र से उपजाऊ कृषि योग्य भूमि तेजी से खत्म होती जा रही है। किसानों की लाख शिकायतों के बाद जांच में स्पष्ट प्रमाणित होने के बावजूद रसूखात अवैध खनन पर लगाम लगाने में आड़े आ रहे हैं।
क्या हैं हालात
गौरतलब है कि यहां 100 से अधिक वैध-अवैध ईंट भट्टे संचालित हंै। जहां प्रत्येक भट्टे में प्रतिवर्ष 30 से 50 लाख ईंटों की थपाई होती है। जिसके लिए प्रतिवर्ष प्रति भटटा 6 बीघा से भी अधिक कृषि भूमि का खनन करता है। ऐसे में औसतन प्रति वर्ष 500 बीघा भूमि से खनन कर उसे अकृषि योग्य कर दिया जाता है। यह सिलसिला पिछले दो दशक से निरंतर जारी है। जानकारों की माने तो अब तक दस हजार बीघा कृषि भूमि अवैध खनन की चपेट में आ चुकी है।
अधिक लागत और कम मुनाफ ा कर रहा कृषि से विमुख
क्षेत्र के अन्नदाता का कृषि से मोहभंग भी भट्टा कारोबारियों का काम आसान कर रहा है। पारिस्थितिकी परिवर्तन, कृषि के लिए मानसून पर निर्भरता, निरंतर गिरता भूजल स्तर, रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति का कम होना, सीमांत किसानों की छोटी-छोटी जोतों के चलते कृषि उत्पादन तेजी से कम होता जा रहा है। जबकि उत्पादन लागत बढ़ रही है। ऐसे में उनका कृषि से मोहभंग हो रहा है। वहीं भट्टा मालिक एक बीघा भूमि के मिट्टी खनन के लिए एकमुश्त ही 4 से 5 लाख का अग्रिम भुगतान कर देते हैं। जो 1 वर्ष के कृषि उत्पादन का 8 से 10 गुना होता है और यही लालच अन्नदाता को कृषि से विमुख कर अन्य रास्तों की ओर अग्रसर कर रहा है।
25 फ ीसदी मजबूरी में करा रहे खनन
वहीं एक चौथाई किसान ऐसे भी हैं जिनके पड़ोसी कृषकों ने अपने खेतों की मिट्टी का खनन भट्टों को करा दिया है और आसपास खनन के चलते गहरे गड्ढे हो जाने से उनकी भूमिओं का कटाव स्वत: ही गड्ढे वाले खेतों की ओर होना प्रारंभ हो जाता है। ऐसे में उनके पास भी अपने खेत की मिट्टी को खनन के लिए देने के अलावा कोई चारा नहीं बचता।
पलायन तेज
विषम पर्यावरण हालात, औद्योगिकीकरण व व्यवसाय के अभाव में रोजगार का अभाव, तकनीकी शिक्षा के साधनों की कमी से रोजगार ना मिलने के कारण क्षेत्र के परिवार बड़ी संख्या में दिल्ली व गुजरात राज्य में पलायन कर चुके हैं। ऐसे में शेष बचे परिवार जो अब तक कृषि आधारित हैं वह भी अब बेरोजगारी के चलते पलायन के लिए मजबूर हो सकते हैं।
युवाओं के समक्ष संकट
क्षेत्र में रोजगार व व्यवसाय का अभाव है। ऐसे में अब कृषि भी धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। ऐसे में युवाओं के सामने रोजगार का बड़ा संकट पैदा होता जा रहा है। रोजगार के अभाव में युवा धीरे-धीरे दिग्भ्रमित होकर अपराध की ओर बढ़ सकते हैं जिसके लिए क्षेत्र पूर्व से ही कुख्यात रहा है।
प्रशाशन की अघोषित शह
गौरतलब है कि दिसंबर माह में सिंघावली ग्राम पंचायत के ग्रामीणों ने कल्याण सिंह ठाकुर के नेतृत्व में उपखंड अधिकारी को ज्ञापन देकर अवैध खनन को रोकने की मांग की थी। ग्रामीण नेतराम, गजेंद्र सिंह, दीपचंद का कहना था कि माफि या ने राजस्थान की सीमा पर उत्तनगन नदी के खण्डहरों और उसके आस-पास की सरकारी सिवायचक व चारागाह भूमियों को भी उत्खनित कर समाप्त प्राय: कर दिया है और ऐसी भूमियों को कब्जे में ले लिया है। साथ ही इनके ओवरलोड डम्पर, ट्रेक्टर-ट्रॉली, लोडर, जेसीबी मशीनें सड़कों पर बेतरतीब तूफ ानी गति से दौड़कर लोगो के जीवन के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। ये लोग इतने प्रभावशाली हंै कि विरोध करने पर जान से मारने की धमकी दे देते हैं और खुलेआम मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। जिस पर उपखंड अधिकारी ने तहसीलदार को जांच के निर्देश दिए और तहसील के हल्का पटवारी ने 31 दिसंबर को मौके पर जांच में अवैध खनन को सत्य मानते हुए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। लेकिन उस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं किया जाना प्रशासन की मंशा पर ही बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।
किसानों में डर व आक्रोश
उधर प्रशासन की ओर से ग्रामीणों की शिकायत पर कार्यवाही ना होने से भट्टा माफि या और भी निरंकुश हो गया है और शिकायतकर्ताओं को ही धमकियां मिलने लगी है जिससे उन्हें भी अपनी जान का खतरा सता रहा है। कल्याण सिंह ने बताया कि उसे दिन प्रतिदिन माफि या के लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष पीछे हटने के लिए दवाब दे रहे हैं और ना मानने पर अंजाम भुगतने की भी धमकियां मिल रही हैं। जिससे उसे व उसके परिवार को ही बड़ा खतरा पैदा हो गया है।

मैंने अभी पदभार ग्रहण किया है । अतिरिक्त पद होने के कारण राजाखेड़ा जाना नहीं हो पाया। जाते ही इस पर कार्यवाही जरूर करूंगा।
भरत लाल कटारा, कार्यवाहक तहसीलदार, राजाखेड़ा
शिकायत करके हम ठगे से महसूस कर रहे हैं। क्षेत्र बर्बाद हो रहा है और प्रशासन कार्यवाही नही कर रहा। हम माफिया से डरे हुए हैं।
नेपाल सिंह, ग्रामीण
जनजीवन प्रभावित हो रहा है। अवैध खनन से उड़ते धूल के गुब्बार लोगों को श्वसन रोगी बना रहे हैं।
दीपचंद, ग्रामीण
ये माफिया बड़ा ताकतवर है और प्रशासन पंगु। शायद आगे भी कार्यवाही ना हो। दिन-ब-दिन कृषि खत्म होती जा रही है।
नेतराम, ग्रामीण

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