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धौलपुर

जिला प्रमुख चुनाव: वर्चस्व की लड़ाई कांग्रेस पर पड़ न जाए भारी

धौलपुर. यहां जिला परिषद में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है। ऐसे में कांग्रेस का जिला प्रमुख बनना भी लगभग तय है। हालांकि, जिले के तीनों कांग्रेस विधायकों में चल रही वर्चस्व की लड़ाई का खामियाजा भी पार्टी को उठाना पड़ रहा है।

धौलपुरOct 30, 2021 / 09:48 am

Naresh

District Chief Election: The battle for supremacy should not be heavy on the Congress

जिला प्रमुख चुनाव: वर्चस्व की लड़ाई कांग्रेस पर पड़ न जाए भारी

जिला प्रमुख चुनाव: वर्चस्व की लड़ाई कांग्रेस पर पड़ न जाए भारी

– स्पष्ट बहुमत के बावजूद संशय के बादल

– राजाखेड़ा क्षेत्र से जिला प्रमुख नहीं बनने देने का ऐलान कर चुके हैं मलिंगा-बैरवा- हो न जाए भरतपुर जैसी गत
धौलपुर. यहां जिला परिषद में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है। ऐसे में कांग्रेस का जिला प्रमुख बनना भी लगभग तय है। हालांकि, जिले के तीनों कांग्रेस विधायकों में चल रही वर्चस्व की लड़ाई का खामियाजा भी पार्टी को उठाना पड़ रहा है। पंचायत चुनाव में टिकट वितरण होने से पहले ही बाड़ी विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा और बसेड़ी विधायक खिलाड़ीलाल बैरवा घोषणा कर चुके थे कि इस बार राजाखेड़ा क्षेत्र से जिला प्रमुख नहीं बनने दिया जाएगा। इस घोषणा को जिले के कांग्रेस विधायकों में मचे वर्चस्व के संघर्ष से जोडकऱ देखा जा रहा है। अब जब कांग्रेस को जिला परिषद में बहुमत मिल गया है, तो देखना होगा कि तीनों विधायक एक होकर पार्टी का जिला प्रमुख बनाते हैं या फिर आपसी लड़ाई में कांग्रेस का नुकसान करते हैं। पड़ोसी जिले भरतपुर में पिछले दिनों कांग्रेस आपसी खींचतान का खामियाजा उठा चुकी है। वहां कम सीट होने के बावजूद भाजपा ने अपना जिला प्रमुख बनवा लिया था।आज यह बन सकती हैं स्थितियांतीनों विधायकों में हो सुलहजिला प्रमुख के चुनाव से पहले सबसे मुमकिन स्थिति यही है कि जिले के तीनों कांग्रेस विधायकों में सुलह हो जाए और आसानी से पार्टी का जिला प्रमुख बन जाए। इस स्थिति की संभावना सर्वाधिक है। कोई भी विधायक पार्टी को नुकसान पहुंचा पार्टी या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कोप मोल लेना नहीं चाहेगा। पार्टी स्तर पर भी तीनों में सुलह करा एकराय से कांग्रेस का जिला प्रमुख बनाने पर जोर दिया जा रहा है। तीनों विधायक भले ही जिले में अपना वर्चस्व बनाना चाहते हों लेकिन, यह पार्टी की कीमत पर नहीं होगा।अलग-थलग पड़ जाएं बोहराजिला प्रमुख के चुनाव में एक स्थिति यह भी बन सकती है कि राजाखेड़ा विधायक रोहित बोहरा अलग-थलग पड़ जाएं। बाड़ी विधायक मलिंगा और बसेड़ी विधायक बैरवा राजाखेड़ा क्षेत्र से आए कांग्रेस के जिला परिषद सदस्यों को शामिल न करें तो उनके पास 11 सदस्य होते हैं। बहुमत के लिए 12 सदस्यों की जरूरत होगी। ऐसे में मलिंगा और बैरवा को भाजपा का एक सदस्य तोडऩा होगा। माना जा रहा है कि बहुमत से कोसों दूर भाजपा से एक-दो सदस्य तोडऩा मलिंगा और बैरवा के लिए इतना मुश्किल नहीं होगा।बोहरा चल दें तुरुप का पत्ताजिले के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजाखेड़ा विधायक बोहरा इतनी आसानी से हार नहीं मानेंगे। ऐसे में एक स्थिति यह भी बन सकती है कि बोहरा भाजपा के भी सभी छह जिला परिषद सदस्यों को अपने साथ मिला लें। राजाखेड़ा क्षेत्र के कांग्रेस के सभी छह जिला परिषद सदस्य उनके साथ हैं। ऐसे में दोनों मिलकर बहुमत का आंकड़ा छू सकते हैं। ऐसा कर जिले की राजनीति में बोहरा वर्चस्व दिखा सकते हैं। उनके पिता प्रद्युम्न सिंह जिले की राजनीति के बड़े क्षत्रप रहे हैं। ऐसे में बोहरा के सामने भी जिले की राजनीति में हावी रहने की चुनौती है।इनका कहना हैधौलपुर में कांग्रेस का ही जिला प्रमुख बनेगा। लगभग सभी जगह पार्टी के ही प्रधान बनेंगे।- रोहित बोहरा, विधायक, राजाखेड़ाकांग्रेस का ही जिला प्रमुख बनाया जाएगा। तीनों विधायक मिलकर तय करेंगे कि कौन जिला प्रमुख बनेगा। – गिर्राज सिंह मलिंगा, विधायक, बाड़ी

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