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धौलपुर

नाम का ही रहा रोजगार मेला, निराश होकर लौटे दर्जनों युवा

– 25 साल से किराए के भवन रोजगार कार्यालय संचालित

धौलपुरJan 27, 2024 / 05:30 pm

Naresh

Employment fair remained only in name, dozens of youth returned disappointed

नाम का ही रहा रोजगार मेला, निराश होकर लौटे दर्जनों युवा

धौलपुर. जिले में रोजगार का बड़ा संकट हैं बेरोजगार युवाओं को रोजगार की उम्मीद दिन रात बनी रहती है। जिले में पहले से ही कोई रोजगार के लिए उद्योग नहीं है। जहां पर बेरोजगारों को छोटा सा ही रोजगार मिल सके। प्रदेश सरकार की ओर से रोजगार मेला आयोजित किए जाते है। लेकिन इसमें भी जिला रोजगार कार्यालय के अधिकारी खानापूर्ति कर रहा है। एक साल बाद रोजगार शिविर लगाया गया था। जानकारी के अभाव के कारण युवा भी कम पहुंचे। कई युवा निराश होकर वापस घर लौट गए।
शहर के निहालगंज रोड पर 25 सालों से किराए के भवन में रोजगार कार्यालय संचालित हो रहा है। जो खुद इतने साल में अपना आशियाना नहीं बना सका वह विभाग रोजगार देने में भी पिछड़ रहा है। जिले के बेरोजगार श्रेणी में 34 हजार 900 युवा कार्यालय में पंजीकृत है। जो रोजगार के लिए भटक रहे है। एक साल बाद मेले का शिविर लगा तो रोजगार की उम्मीद जगी लेकिन कुछ देर बाद वह भी निराशा में रही। इस शिविर में 85 युवाओं ने रजिस्टेशन कराया। जिसमें 39 युवाओं को तीन अलग-अलग कंपनी के मैनेजर ने उनका साक्षात्कार करके प्रथम चयन प्रक्रिया के लिए सिलेक्ट किया। कई शिक्षित युवा तो रोजगार नहीं मिलने से वह निराश होकर लौट गए। एक साल में रोजगार कार्यालय में 39 का साक्षात्कार हुआ इसमें से भी कई बाहर हो जाएंगे।
बीएड डिग्री धारक पहुंचे-

जिला रोजगार कार्यालय में गुरुवार को मेले में स्नातक, परास्नातक, मास्टर डिग्री सहित अन्य युवा पहुंचे थे। लेकिन इनमें से एक का भी चयन नहीं हुआ है। मेले में आए गांव बीलौनी निवासी पवन कुमार ने बताया कि वह बीएड तक की शिक्षा प्राप्त किए है। वह रोजगार के लिए 2008 से हर बार मेले में पहुंचे है लेकिन कोई कंपनी उनको नहीं लेती है। जिससे उनको अभी तक रोजगार नहीं मिला है। अब कंपनी आईटीआई व पॉलीटेक्निक वाले युवाओं को चयन कर रही है।
सलाह तक नहीं मिल सकीं-

रोजगार मेले में आए युवाओं ने बताया कि वह रोजगार के लिए परेशान होते है। बीटेक डिग्री धारक मोहन ने बताया कि शिविर में कोई सलाह भी नहीं देता है। सोचा था कि मेले में रोजगार मिल जाएगा। जिससे परिवार का खर्चा चलेगा। यहां तो कम पढ़े लिखे व उच्च शिक्षितों को एक ही तराजू में तौला जाता है। बिना रोजगार के लिए घर लौटना पड़ रहा है।

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