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धौलपुर

इस तरीके से होगी खेती कि मालामाल हो जाएंगे किसान

जिले में उच्च गुणवत्ता के खाद्यान्न पैदा करने के लिए गेहूं व आलू की जैविक कृषि के 375 मॉडल तैयार किए जाएंगे। इसके लिए जिला कलक्टर ने नीति आयोग से आकांक्षी जिले के विकास के लिए मिले पुरस्कार राशि में से कृषि विभाग के लिए 1 करोड़ 59 लाख 6 0 हजार रुपए की राशि का प्रावधान किया है।

धौलपुरFeb 19, 2020 / 12:21 pm

Mahesh Gupta

इस तरीके से होगी खेती कि मालामाल हो जाएंगे किसान

इस तरीके से होगी खेती कि मालामाल हो जाएंगे किसान

इस तरीके से होगी खेती कि मालामाल हो जाएंगे किसान
नीति आयोग के तहत 1.60 करोड़ की आएगी लागत
जैविक उत्पादन कार्यक्रम
गेंहू एवं आलू की जैविक कृषि के 375 मॉडल तैयार किए जाएंगे
धौलपुर. जिले में उच्च गुणवत्ता के खाद्यान्न पैदा करने के लिए गेहूं व आलू की जैविक कृषि के 375 मॉडल तैयार किए जाएंगे। इसके लिए जिला कलक्टर ने नीति आयोग से आकांक्षी जिले के विकास के लिए मिले पुरस्कार राशि में से कृषि विभाग के लिए 1 करोड़ 59 लाख 6 0 हजार रुपए की राशि का प्रावधान किया है। जैविक कृषि के इन मॉडल को तैयार करने के लिए किसानों को जैविक कृषि उत्पादन के क्षेत्र में प्रशिक्षण से लेकर जैविक आदान सहायता दी जाएगी।
जिला कलक्टर ने बताया कि ‘आलू की फसल हाई वैल्यू क्रॉप्स में आती है। उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग के कारण ना सिर्फ पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, बल्कि जिले के छोटे किसानों के पास कम जोत में अत्यधिक लागत रहती है। अत: आलू की जैविक खेती की मदद से किसान कम लागत में अपना उत्पादन बढ़ा सकते हैं। जिससे छोटे किसानों को भी अच्छा मुनाफा हो पाएगा। जैविक कृषि का इकोनोमिक मॉडल जिले की अर्थव्यवस्था के लिए सार्थक कदम होगा। जिले में गेहूं के कुल 250 एकड़ एवं आलू के 125 एकड़ क्षेत्रफल में जैविक उत्पादन के मॉडल तैयार कराते हुए जैविक उत्पादन कार्यक्रम को जिले में बढ़ाने की पहल की शुरूआत कर दी गई है।’
जिले में इस वर्ष 9 हजार 8 02 हेक्टेयर में आलू की फसल की बुवाई की गई है। आलू की जैविक खेती से फसल की पैदावार में करीब 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है। साथ ही जैविक विधि से खेती करने के उपरांत फसल से जो उत्पादन मिलेगा उसका बाजार में विक्रय मूल्य करीब 50 प्रतिशत अधिक मिलता है। इस प्रकार किसान का उत्पादन भी बढ़ेगा एवं उत्पाद का बाजार में मूल्य भी अधिक मिलेगा। अत: जैविक विधि से आलू की खेती करने से किसान को लाभांश में वृद्धि होगी। वर्तमान में बाजार में जैविक उत्पादों की भारी मात्रा में मांग है और यदि किसान जैविक प्रमाणीकरण के साथ अपनी फसल पैदा करते हैं तो बाजार में जैविक उत्पादों का अधिक मूल्य मिलता है।
यह मिलेगा लाभ
जिला कलक्टर ने बताया कि भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो जाती है, सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है, रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है, फसलों की उत्पादकता में वृद्धि, तथा बाजार में जैविक उत्पादों की मांग बढऩे से किसानों की आय में भी वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि आधुनिक समय में निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या, पर्यावरण प्रदूषण, भूमि की उर्वरा शक्ति का संरक्षण एवं मानव स्वास्थय के लिये जैविक खेती की राह अत्यन्त लाभदायक है। मानव जीवन के सर्वांगीण विकास के लिये नितान्त आवश्यक है कि प्राकृतिक संसाधन प्रदूषित न हों, शुद्ध वातावारण रहे एवं पौष्टिक आहार मिलता रहे, इसके लिये हमें जैविक खेती की कृषि पद्धतियों को अपनाना होगा ।
जैविक खेती क्या है
जैविक खेती देशी खेती का आधुनिक तरीका है जिसमें प्रकृति एवं पर्यावरण को संतुलित रखते हुए खेती की जाती है। इसमें रसायनिक खाद कीटनाश्कों का उपयोग नहीं कर खेत में गोबर की खाद, कम्पोस्ट, जीवाणु खाद, फसल चक और प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रॉक फास्फेट, जिप्सम आदि द्वारा पौधों को पोषक तत्व दिये जाते हैं। फसल को प्रकृति में उपलब्ध कीटों, जीवाणुओं और जैविक कीटनाशकों द्वारा हानिकारक कीटों तथा बीमारियों से बचाया जाता है।

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