बाड़ी. जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने यहां एक मामले में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को सेवादोष का आरोपी मानते हुए पीडि़त महिला को ब्याज सहित शेष पैसा व क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। मामले के अनुसार बाड़ी निवासी महिला मीना मंगल पत्नी गुलाबचंद मंगल ने 14 अगस्त 2013 को भविष्य में होने वाली बीमारियों के इलाज व ऑपरेशन आदि के व्यय को कवर करने के लिए एलआईसी की जीवन आरोग्य योजना पॉलिसी ली थी। महिला द्वारा नियत समय पर प्रीमियम भी जमा कराया गया। पॉलिसी लेने के करीब पांच साल बाद महिला की तबियत खराब हुई। 14 से 17 अप्रेल 2019 में महिला आगरा के एक चिकित्सालय में भर्ती रही। इसके बाद हालत खराब होने पर महिला को जयपुर स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां महिला 17 से 27 अप्रेल 2019 तक भर्ती रही। इस दौरान इलाज का खर्च करीब तीन लाख रुपए बैठा। महिला की ओर से खर्च राशि का क्लेम लेने के लिए एलआईसी में संपर्क किया गया। इस पर एलआईसी की ओर से महिला को मात्र 59800 रुपए का क्लेम दिया गया। इस पर महिला ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के समक्ष वाद प्रस्तुत किया।
यह दिया आदेश आयोग के अध्यक्ष अशोक कुमार शर्मा द्वितीय, सदस्य यदुनाथ शर्मा तथा श्रीमती कृष्णा अग्रवाल ने मामले की सुनवाई करते हुए एलआईसी को सेवादोष का आरोपी माना। आयोग ने एलआईसी को पॉलिसी के पेटे परिवादी महिला को दो लाख पांच हजार दो सौ तीन (205203) का भुगतान देने का आदेश दिया। बीमा निगम द्वारा 59800 रुपए का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। ऐसे में निगम शेष राशि 145403 का भुगतान 10 अक्टूबर 2019 से अदायगी तक चार प्रतिशत ब्याज के साथ उदा करे। इसके अलावा बीमा निगम परिवादी महिला को मानसिक संताप की क्षतिपूर्ति के लिए पांच हजार रुपए व परिवाद व्यय के दो हजार रुपए भी अदा करे। आदेश की पालना एक माह में करने का आदेश भी दिया गया।