अधिक देर तक वह किसी खेत में नहीं बैठ पाई। इस कारण जिले में अधिक नुकसान नहीं हुआ। हालांकि कुछ खेतों में हरे चारा, बागों में हरे पेड़ों, जंगलों में बबूल व पीपल के पेड़ों की पत्तियों का चट किया। वहीं कुछ पेड़ों की डालियां तो टिड्डियों के वजन से ही टूट गई।
मंगलवार रात को टिड्डी दल ने जिले में करौली की सीमा से बथुआपुरा होते हुए प्रवेश किया। इस दौरान दल ने बड़ापुरा, रिझौनी होते हुए जंगलों में पड़ाव डाल लिया। इसकी सूचना निगरानी दलों तथा टिड्डी नियंत्रण दल को लगी तो उन्होंने उच्चाधिकारियों को सूचना दी। इस पर कृषि उपनिदेशक, कृषि पर्यवेक्षक, सहायक कृषि अधिकारी सहित निगरानी दल सात बजे से लेकर रात साढ़े दस बजे तक रिझौनी, डोमरी, चन्द्रावली, खरगपुरा के जंगलों में टिड्डी दल की लोकेशन लेता रहा, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल पाई। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों को टिड्डियों को भगाने तथा उनसे फसलों से बचाव के लिए भी पर्चे वितरित किए।
यूं शुरू हुआ टिड्डियों का हमला कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार सुबह तीसरे दल के आने की सूचना मिली। यह टिड्डी दल जयपुर, दौसा होते हुए बसेड़ी क्षेत्र में घुसा। सबसे पहले टिडडी दल बसेड़ी के जसौरा, बांसपुरा, जम्बोरा गांव में करीब आठ बजे दिखाई दिया। इस पर कृषि विभाग सहित राजस्व विभाग व निगरानी दल सक्रिय हो गए। उन्होंने ग्रामीणों को सूचना कर दी। साथ ही ध्वनि व धुएं से भगाने की बात कही। इसके बाद कुछ देर बीस से पच्चीस मिनट तक हरे पेड़ों पर पड़ाव डालने के बाद फिर से टिड्डी दल ने उड़ान भरी। इस दौरान तेज धूप तथा हवा का वेग अधिक होने के कारण टिड्डी करीब २० किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से उड़ रही थी। इस दौरान टिड्डी साढ़े दस बजे बाड़ी के कुछ गांवो को पार करते हुए सैपऊ के जाखी, माफलपुरा, पुरैनी होते हुए पचगांव पहुंच गई। यहां पर एक निजी कोल्ड स्टोर के पास बने बाग में डेरा डालने का प्रयास किया। इस पर कोल्ड के कर्मचारियों ने धुआं करके टिड्डियों को भगाया। साथ ही आसपास के ग्रामीणों ने थाली, पीपे पीटना शुरू कर दिया। हालांकि कुछ हरियाली को चट कर दिया। इसके बाद दल औंडेला, सदर थाने होते हुए राजाखेड़ा सीमा में प्रवेश कर गया। जहां पर भैसाख, जाटोली, समौला, चीलपुरा, महदपुरा होते हुए चम्बल पार मध्यप्रदेश की सीमा पर पहुंच गया। राजाखेड़ा क्षेत्र में अधिक नुकसान नहीं हुआ।