तीन रियासतों की सीमा पर निकली थी मूर्तियां गांव छावनी के बुजुर्ग बताते हैं कि मंदिर लगभग 300 साल से अधिक पुराना है। यहां विराजमान प्रभु राम की मूर्ति अष्टधातु से निर्मित बताते हैं। मंदिर में स्थित प्रभु राम की प्रतिमा के बारे में पुजारी विशंभर दयाल शर्मा ने बताया कि धौलपुर, भरतपुर और करौली की तत्कालीन संयुक्त रिसायत की सीमा पर खुदाई के दौरान उस समय तीन मूर्तियां निकली थी। इनमें भगवान श्रीराम की चतुर्भुज रूप में, माता जानकी और लक्ष्मण जी की मूर्ति भी थी। भगवान श्रीराम की मूर्ति धौलपुर के राजा, लक्ष्मण जी की मूर्ति को भरतपुर और माता जानकी जी की मूर्ति को करौली राजा लेकर गए थे। आज भी तीनों जिलों में उक्त मूर्तियां मंदिरों में स्थापित हैं। इसमें भरतपुर में लक्ष्मण मंदिर है।
मंदिर पुजारी प्रभु राम की मूर्ति लेकर पहुंचे थे कोर्ट प्रभु राम की अष्टधातु की मूर्ति जब चोरी हुई थी। उस समय स्थानीय पुजारी रामजी लाल शर्मा थे। जिन्होंने ही चोरी की रिपोर्ट कोतवाली में दर्ज कराई थी। मूर्ति बाद में मिलने पर उसे मंदिर के 15 फीट के कमरे में रखा गया था। जहां से प्रत्येक माह केस की तारीख पडऩे पर मंदिर पुजारी कपड़े में लपेट कर कोर्ट लेकर पहुंचते थे। ये प्रक्रिया करीब दस साल तक चली थी। जिसके बाद मजिस्ट्रेट ने 1982 में मुकदमे का फैसला भगवान के पक्ष में सुनाया। चोरी में सभी अभियुक्तों को सजा से दण्डित किया गया। उसके बाद भगवान राम छावनी स्थित हनुमान मंदिर में फिर से विराजित हुए।