किसानों के कृषि प्रयोगार्थ होने के कारण इनका पंजीयन शुल्क अत्यंत न्यून होता है, लेकिन यह सभी ट्रोले कृषि कार्य के स्थान पर सिर्फ व्यापारिक प्रयोगार्थ मोटी कमाई के लिए ही प्रयुक्त किए जा रहे हैं। ऐसे में ये वाहन राजस्व की मोटी चोरी भी कर रहे हैं। लेकिन परिवहन और पुलिस विभाग का बरदहस्त भी इनके निर्विरोध संचालन पर अब तक बना हुआ है।
पूरे दिन संचालन
क्षेत्र में 100 से अधिक ईंट भट्टा हैं, जहां से औसतन प्रति भट्टा दो ट्रोले प्रतिदिन निकलते हैं। ऐसे में प्रतिदिन 200 से अधिक ट्रोले आगरा व् धौलपुर की ओर निकलते हैं, जो बीच में कई थाने और चौकी होने के बाद भी निर्बाध संचालित होकर प्रशासनिक व्यवस्थाओं की कलई खोलते हैं।
दुर्घटनाओं से नहीं सबक
विगत वर्ष में आगरा मार्ग पर सिंघावली गांव के पास ऐसे ही एक तेज रफ्तार अनियंत्रित ट्रैक्टर ट्रोले ने मासूम को कुचल दिया था। जिस पर ग्रामीणों ने मार्ग जाम कर इन वाहनों पर लगाम लगाने की मांग की थी, जो तक पूरी नहीं हुई। वर्ष 2007 में भी अवैध रेते के ओवरलोड ट्रोले ने भी इसी मार्ग और इसी गांव पर एक युवक को कुचल दिया था, जिसके बाद नाराज लोगों व पुलिस की भिड़ंत में थानाधिकारी सहित अनेक पुलिसकर्मी गंभीर घायल हो गए थे। जिसके बाद पुलिस ने 19 लोगों को नामजद कर गिरफ्तार किया था। जिससे संपूर्ण क्षेत्र में तनाव फैल गया था। ये कालदूत दिन प्रतिदिन दुर्घटनाएं करते हैं, लेकिन इनका संगठित गिरोह पीडि़तों को थाने तक नहीं पहुंचने देता और बाहर ही राजीनामा को मजबूर कर देते हैं। जिससे इनकी दुर्घटनाओं के आंकड़े खुल न सके।
अधिकांश का नहीं होता बीमा सबसे ज्यादा खतरनाक तथ्य यह है कि क्षेत्र के अधिकांश ट्रैक्टरों का बीमा नहीं होता। जो दुर्घटना की हालत में पीडि़त के लिए बड़ी समस्या होती है। साथ ही यह मोटर व्हीकल एक्ट के खुला उल्लंघन भी है, लेकिन पुलिस की नाकेबंदी भी सिर्फ दुपहिया वाहनों की जांच तक सीमित रहती है। ये डग्गेमार वहां उसकी नजरों के समक्ष खुलेआम संचालित होते रहते है।