scriptसड़कों पर काल बनकर दौड़ रहे ईंटों के ट्रोले, दुर्घटनाओं के बाद भी नहीं थम रहा संचालन | Trolls of bricks running on the roads as a span, operation is not stop | Patrika News
धौलपुर

सड़कों पर काल बनकर दौड़ रहे ईंटों के ट्रोले, दुर्घटनाओं के बाद भी नहीं थम रहा संचालन

राजाखेड़ा. राजाखेड़ा क्षेत्र में स्थापित 100 से अधिक वैध, अवैध ईंट भट्टों से क्षमता से कई गुना ईंटों को लेकर आगरा और धौलपुर की मंडियों में ले जाने वाले अवैध ट्रैक्टर ट्रॉले सड़कों पर काल बन कर दौड़ रहे हैंं। लेकिन इनको रोकने के लिए जिम्मेवार परिवहन व पुलिस विभाग दोनों ही आंखे मूंदे हुए हैं। इसके चलते यह ट्रॉले लोगों को मौत बांट रहे हैं। रविवार को पिनाहट तिराहे पर देवखेड़ा निवासी वृद्ध को ऐसे ही ट्रोले ने कुचल देने के बाद तो इन पर तुरंत रोक लगाने की मांग मुखर हो उठी है।

धौलपुरJul 07, 2020 / 11:04 am

Naresh

सड़कों पर काल बनकर दौड़ रहे ईंटों के ट्रोले, दुर्घटनाओं के बाद भी नहीं थम रहा संचालन

कृषि कार्य का नाम लेकर दे रहे राजस्व की चोट


राजाखेड़ा. राजाखेड़ा क्षेत्र में स्थापित 100 से अधिक वैध, अवैध ईंट भट्टों से क्षमता से कई गुना ईंटों को लेकर आगरा और धौलपुर की मंडियों में ले जाने वाले अवैध ट्रैक्टर ट्रॉले सड़कों पर काल बन कर दौड़ रहे हैंं। लेकिन इनको रोकने के लिए जिम्मेवार परिवहन व पुलिस विभाग दोनों ही आंखे मूंदे हुए हैं। इसके चलते यह ट्रॉले लोगों को मौत बांट रहे हैं। रविवार को पिनाहट तिराहे पर देवखेड़ा निवासी वृद्ध को ऐसे ही ट्रोले ने कुचल देने के बाद तो इन पर तुरंत रोक लगाने की मांग मुखर हो उठी है।
ढोते हैं तीन गुना वजन
किसी भी सामान्य ट्रैक्टर ट्रॉली में सामान्यत: 1500-2000 ईंटों के परिवहन की क्षमता होती है। लेकिन अधिक मुनाफे के चक्कर में क्षेत्र में ऐसे ट्रोले बनाए जाते हैं, जिनमे दो की जगह 4 पहिए लगाए जाते हैं। इनका आकार भी सामान्य ट्रॉली से काफी बड़ा और दोगुना तक होता है। इस प्रक्रिया के बाद उनकी क्षमता लगभग 3000 की हो जाती है। लेकिन इन ट्रोलों में जितनी ईंट ट्रोला बॉक्स के अंदर होती है, उतनी ही ऊपर खुली लाद दी जाती है। ऐसे में यह अपनी वास्तविक क्षमता से 4 गुना तक इंटें भर लेते हैं, जो सामान्यत एक ट्रक की क्षमता के बराबर होती हैं। ऐसे में इनमें 5 से 6 हजार तक ईंट भर दी जाती है। जिससे ट्रेक्टर इस वजन को आसानी से खींच नहीं पाता। इस चार गुणे भार को खींचने में ट्रैक्टर के अगले पहिए जमीन पर से ऊंचे उठ जाते हैं और चालक का नियंत्रण इस पर काफी कम रह जाता है। ऐसे में यह सड़कों पर कालदूत बनकर दौड़ते दिखाई देते हैं।
नाम कृषि का, कार्य व्यावसायिक
किसानों के कृषि प्रयोगार्थ होने के कारण इनका पंजीयन शुल्क अत्यंत न्यून होता है, लेकिन यह सभी ट्रोले कृषि कार्य के स्थान पर सिर्फ व्यापारिक प्रयोगार्थ मोटी कमाई के लिए ही प्रयुक्त किए जा रहे हैं। ऐसे में ये वाहन राजस्व की मोटी चोरी भी कर रहे हैं। लेकिन परिवहन और पुलिस विभाग का बरदहस्त भी इनके निर्विरोध संचालन पर अब तक बना हुआ है।
पूरे दिन संचालन
क्षेत्र में 100 से अधिक ईंट भट्टा हैं, जहां से औसतन प्रति भट्टा दो ट्रोले प्रतिदिन निकलते हैं। ऐसे में प्रतिदिन 200 से अधिक ट्रोले आगरा व् धौलपुर की ओर निकलते हैं, जो बीच में कई थाने और चौकी होने के बाद भी निर्बाध संचालित होकर प्रशासनिक व्यवस्थाओं की कलई खोलते हैं।
दुर्घटनाओं से नहीं सबक
विगत वर्ष में आगरा मार्ग पर सिंघावली गांव के पास ऐसे ही एक तेज रफ्तार अनियंत्रित ट्रैक्टर ट्रोले ने मासूम को कुचल दिया था। जिस पर ग्रामीणों ने मार्ग जाम कर इन वाहनों पर लगाम लगाने की मांग की थी, जो तक पूरी नहीं हुई। वर्ष 2007 में भी अवैध रेते के ओवरलोड ट्रोले ने भी इसी मार्ग और इसी गांव पर एक युवक को कुचल दिया था, जिसके बाद नाराज लोगों व पुलिस की भिड़ंत में थानाधिकारी सहित अनेक पुलिसकर्मी गंभीर घायल हो गए थे। जिसके बाद पुलिस ने 19 लोगों को नामजद कर गिरफ्तार किया था। जिससे संपूर्ण क्षेत्र में तनाव फैल गया था। ये कालदूत दिन प्रतिदिन दुर्घटनाएं करते हैं, लेकिन इनका संगठित गिरोह पीडि़तों को थाने तक नहीं पहुंचने देता और बाहर ही राजीनामा को मजबूर कर देते हैं। जिससे इनकी दुर्घटनाओं के आंकड़े खुल न सके।
अधिकांश का नहीं होता बीमा

सबसे ज्यादा खतरनाक तथ्य यह है कि क्षेत्र के अधिकांश ट्रैक्टरों का बीमा नहीं होता। जो दुर्घटना की हालत में पीडि़त के लिए बड़ी समस्या होती है। साथ ही यह मोटर व्हीकल एक्ट के खुला उल्लंघन भी है, लेकिन पुलिस की नाकेबंदी भी सिर्फ दुपहिया वाहनों की जांच तक सीमित रहती है। ये डग्गेमार वहां उसकी नजरों के समक्ष खुलेआम संचालित होते रहते है।

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