पानी शरीर को अंदर से साफ कर अधिक खाने से रोकता है। कई बार तो लोग भूलवश प्यास को भूख समझकर अतिरिक्त खा लेते हैं जबकि मात्र पानी पीकर ही उनका काम चल सकता है। अगली बार जब आपको भूख लगे और खाने का समय न हो तो एक गिलास पानी पीकर देख लें।
दो बार के खाने के बीच ज्यादा अंतराल नहीं होना चाहिए। गैप ज्यादा होने से भूख अधिक लग सकती है और उस समय कुछ भी खाने का मन करता है। इसके स्थान पर हर चार घंटे के बाद कोई हैल्दी नाश्ता जैसे फल, अंकुरित अनाज उपमा, इडली, डोसा या सूखे मेवे खाए जा सकते हैं।
अगर हर समय भूख लगती रहती है और आप जल्दी-जल्दी खाना खाते हैं तो धीरे-धीरे, चबाकर खाएं। इससे आपका खाना पेट में जाकर अच्छी तरह पचेगा और उसके सभी पोषक तत्व शरीर को ऊर्जा देगें, जिससे थोड़ी-थोड़ी देर में भूख लगने की समस्या दूर हो जाएगी। इसके अलावा ज्यादा चाय पीने से बचें। इससे भूख मर जाती है लेकिन कुछ समय के बाद फिर से खाने की इच्छा होने लगती है। चाय पीने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है और बार-बार खाने का दिल करने लगता है।
जापानी सिद्धांत काइजेन पर आधारित जेन डाइट अपने आप में अनोखी है। काइजेन का अर्थ है सुधार। इस डाइट में आप अपना भोजन बहुत समझदारी से चुनते और खाते हैं। इसके लिए आपको चीनी, प्रोसेस्ड फूड और तले-भुने से बिल्कुल परहेज या इसकी न्यूनतम मात्रा लेनी होती है ताकि बढ़े हुए वजन को नियंत्रित करने में मदद मिल सके। लेकिन इसे विशेषज्ञ की सलाह के बाद ही फॉलो करना चाहिए।
भोजन में प्रोटीन को स्थान अवश्य दें। शरीर को कार्बाेहाइड्रेट और वसा पचाने में कम समय लगता है जबकि प्रोटीन पचाने में अधिक समय लगता है। प्रोटीन खाने के बाद हमें पेट भरे रहने का अनुभव होता है जिससे बाद में जल्दी भूख नहीं लगती।
फाइबर या रेशे से भरपूर अनाज, सब्जियां और फल पाचन में अधिक समय लेते हैं जबकि मैदा से बने खाद्य पदार्थ और बिस्किट आदि जल्दी पच जाते हैं व हमें जल्दी भूख लग आती है। यही वजह है कि आप पटेटो चिप्स के कई पैकेट एक साथ खा सकते हैं लेकिन अधिक फल-सब्जियां नहीं। इसलिए भोजन में सलाद व मौसमी सब्जियों को भी अवश्य शामिल करें। भूख लगने पर जूस पीने की बजाय फल खाएं क्योंकि रस निकालने की प्रक्रिया के दौरान रेशे निकल जाते हैं और फाइबर न होने से हमेें इन्हें पीने के फौरन बाद ही भूख लगने लगती है।