20 की उम्र में
20 की उम्र में कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग, ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर टेस्ट और डायबिटीज स्क्रीनिंग टेस्ट करा लें ताकि रोग का पता प्रारंभिक अवस्था में ही चल जाए। एक बार यह टेस्ट कराने के बाद डॉक्टरी सलाह से नियमित जांच कराती रहें।
30 का पड़ाव
आजकल महिलाएं कामकाजी हो गई हैं। 8-10 घंटे कम्प्यूूटर के सामने बैठकर काम करना, एक्सरसाइज न करना, नींद की कमी, जंक फूड का सेवन हृदय रोगों की आशंका को दोगुना कर देते हैं। इसलिए सतुलित और पौष्टिक भोजन करेंं। कैलोरी इनटेक शारीरिक सक्रियता और मेटाबॉलिज्म के अनुसार होना चाहिए।
४० में हो जाएं सतर्क
घर-परिवार की जिम्मेदारियों व कार्यस्थल के तनाव के कारण महिलाओं में मानसिक तनाव का स्तर बढ़ा है। इससे उनमें प्री-मैच्योर मेनोपॉज होने लगा है जिससे एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है।
एस्ट्रोजन महिलाओं में हार्ट अटैक के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करता है। इसलिए जिम्मेदारियों और कामकाज के बीच खुद के लिए भी थोड़ा समय जरूर निकालें।
5० में करें व्यायाम
इस उम्र तक आते-आते अधिकतर महिलाएं मेनोपॉज के स्तर तक पहुंच जाती हैं। मेनोपॉज के बाद महिलाओं के हृदय के आसपास वसा का जमाव अधिक हो जाता है जो हृदय रोगों के लिए एक बड़ा खतरा है।
उम्र बढऩे के साथ ही उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और रक्तमें कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर जैसी समस्याओं की आशंका भी बढ़ती है। मेनोपॉज के बाद अधिकतर महिलाओं का वजन भी बढ़ता है इसलिए योग, व्यायाम से मोटापा कम करें।
५5 वर्ष के बाद
55 वर्ष के पश्चात महिलाओं के हृदय रोगों की चपेट में आने की आशंका पुरुषों के समान ही होती है। महिलाओं को 50 वर्ष की उम्र के बाद अपने खानपान पर नियंत्रण रखना चाहिए। उन्हेें चाहिए कि वे शारीरिक रूप से सक्रिय रहें और नियमित शारीरिक जांच कराएं। -डॉ. सुभाष चंद्रा एचओडी कार्डियोलॉजी, बीएलके हार्ट सेंटर, नई दिल्ली
पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को है खतरा
पुरुषों की तुलना में महिलाएं कोरोनरी हार्ट डिजीज (सीएचडी), कोरोनरी माइक्रो वैस्क्यूलर डिजीज (सीएमवीडी) और ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम (बीएचएस) का अधिक शिकार हो रही हैं। घर व ऑफिस के बीच तालमेल बिठाने में पनपा तनाव इसका प्रमुख कारण है। जानते हैं इनके बारे में।
सीएचडी : इसमें कोरोनरी धमनी की अंदरूनी दीवार में प्लाक (कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम, वसा व अन्य कारकों से बनी परत) जमा हो जाती है। इससे हृदय में ऑक्सीजनयुक्तरक्त पहुंचने में बाधा आने लगती है।
लिहाजा हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन जीवनशैली में सुधार से इस रोग के खतरे को कम किया जा सकता है।
सीएमवीडी : हृदय की छोटी धमनियों की दीवारें क्षतिग्रस्त होने से ऐसा होता है। हालांकि पिछले 30 वर्षों में इसकी मृत्यु दर में कमी आई है।
बीएचएस : इसमें मानसिक तनाव के कारण हृदय की मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं। इसके लक्षण व जांच की रिपोर्ट हार्ट अटैक जैसी होने से कई बार डॉक्टर इन दोनों में फर्क नहीं कर पाते। फिलहाल इसके इलाज पर शोध जारी है। -डॉ. नीलेश गौतम, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट, मुंबई