क्या है पथ्य आहार
गाय का दूध-दही, छाछ, श्रीखण्ड, नींबू, चंदन और फ ाल्से का शर्बत, गन्ने का रस, नारियल पानी, शहद मिश्रित जल, फू्रट शेक, तरबूज, खरबूज व जलजीरा का प्रयोग करना चाहिए। ये पथ्य आहार हैं।
अपथ्य आहार
चाय, काफी, शराब से दूरी रखें। मिर्च-मसालेदार, तैलीय खानपान से बचें। बासी खाना, प्रोसेस्ड, डिब्बा बन्द व मांसाहार खाद्य पदार्थ न खाएं। इस तरह के आहार पित्तवद्र्धक होते हैं।
जंकफूड देर से पचता है, पोषक तत्व भी कम मिलते
मैदा, बेसन युक्त चीजें देर से पचती हैं। स्ट्रीट फूड, जंकफूड, चाट, पिज्जा, बर्गर न खाएं। इनमें अधिक कैलोरी, ट्रांसफैट के साथ पोषक तत्व बहुत कम मिलते हैं। ये ताकत की बजाय आलस्य व थकान बढ़ाते हैं।
सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ दें
सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ दें। उषापान (गुनगुना पानी) करें। शीतल जल से दिन में दो बार स्नान से त्वचा की आद्र्रता बनी रहती है।
शरीर में बढ़ते हैं विकार
पित्त व वात दोष बढऩे से बीमारियां बढ़ती हैं। शरीर का बल व पाचन शक्ति कमजोर होती है। पसीना, त्वचा में रूखापन, कमजोरी, भूख-प्यास कम होना, लू , दस्त, हरारत, नकसीर, जलन की समस्या होती है।
दिन में एक प्रहर नींद लें
पैदल चलें। हल्का व्यायाम व चंदन, नारियल तेल से मालिश करें। ऊर्जा व स्फूर्ति मिलेगी। दिन में एक प्रहर (45 मिनट) नींद लें। क्षमतानुसार ही परिश्रम करें। प्यासे न रहें।
– डॉ. आदर्श वाजपेयी, वरिष्ठ फिजिशियन, भोपाल
– डॉ. काशीनाथ समगण्डी, आयुर्वेद एवं योग विशेषज्ञ, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर