शरीर क्रिया विज्ञान (फिजियोलॉजी) के अनुसार आंतों में खाद्य पदार्थों के रस के अवशोषण का कार्य लगातार चलता है। लेकिन जब इसमेेंं मल जमा होकर सडऩे लगता है तो आंतों की कार्यप्रणाली प्रभावित होने के साथ मल में उपस्थित अपशिष्ट व विषैले पदार्थ कब्ज का कारण बनते हैं। कुछ योग जैसे ताड़ासन, हलासन, मंडूकासन, कटिचक्रासन आदि भी इस रोग में फायदा पहुंचाते हैं।
लक्षण –
कब्ज की समस्या से अपच, भूख कम लगना, एसिडिटी, कोलाइटिस, पेटदर्द, बवासीर, सिरदर्द, माइग्रेन, अपेंडिसाइटिस, त्वचा रोग, पीठदर्द, शरीर में सुस्ती आदि परेशानियां होती हैं।
इन बातों का रखें ध्यान :
ये न करें –
भोजन के तुरंत बाद पानी पीना :
भोजन के पेट में जाने के 10-15 मिनट बाद पाचन रस बनता है, ऐसे में तुरंत बाद पानी पीने से रस बनने की प्रक्रिया धीमी होती है।
जल्दबाजी में भोजन करना :
बिना चबाए भोजन करने से आहारनाल की मांसपेशियां खिंचती हैं जिससे इसका कार्य व पोषक तत्त्वों का अवशोषण धीमा होता है।
डिनर के बाद तुरंत लेटना :
भोजन को पचने में 30-45 मिनट लगते हैं। तुरंत बाद लेटने से आहारनली में भोजन पड़े रहने से पचने में समय लगता है। भोजन कर वज्रासन में बैठें व 20 मिनट बाद सोएं।
ये करें-
सोने से पहले गुनगुना दूध पीएं :
डिनर के बाद व सोने से 15 मिनट पहले गुनगुना दूध पीएं। कब्ज नहीं होगा।
सुबह गुनगुना पानी पीना :
सुबह उठते ही 2-3 गिलास गुनगुना पानी पीने से पेट साफ होता है व कब्ज नहीं रहती।
हफ्ते में एक बार उपवास :
हफ्ते में एक दिन उपवास रखें व फल खाएं। ये पाचनतंत्र को दुरुस्त रखते हैं।