अध्ययन के अनुसार ५१.२ फीसदी वात-पित्त, २६ फीसदी पित्त-कफ व २२.८ फीसदी कफ-वात प्रकृति वाले लोगों को जंकफूड पसंद करते हैं। शोधकर्ता व राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के रोग एवं विकृति विभाग के प्रमुख डॉ. पवन कुमार गोदतवार के अनुसार वात-पित्त प्रकृति वाले लोग अधिक चंचल, छोटी-छोटी बातों पर परेशान हो जाने वाले, जल्दी उत्तेजित और मन पर नियंत्रण न रखने वाले होते हैं। इन लोगों का खाने पर ध्यान ज्यादा रहता है इसलिए इन्हें जंकफूड अधिक पसंद आता है।
वहीं पित्त-कफ प्रकृति वाले लोग चंचल होते हैं लेकिन मन पर नियंत्रण कर लेते हैं। ये आसानी से विचलित नहीं होते और भूख को बर्दाश्त कर लेते हैं। जबकि कफ-वात प्रकृति वाले लोग शरीर और मन दोनों से गंभीर होते हैं। ये लोग गुस्सा भी कम करते हैं और उनका ध्यान खाने पर कम होता है इसलिए इन्हें जंकफूड कम पसंद आता है।
1000 लोगों पर किया गया शोध
यह अध्ययन राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की ओपीडी, आईपीडी, कैंप्स और जयपुर के बड़े जंकफूड आउटलेट्स के बाहर करीब एक हजार लोगों पर किया गया। इस शोध को अंतरराष्ट्रीय जर्नल इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ आयुर्वेदा-फिजिशियंस में भी प्रकाशित किया जा चुका है।
जंकफूड से ग्रहणी दोष
ज्यादातर जंकफूड मैदे से बने होते हंै। मैदा आंतों में चिपककर डायरिया और अपच का कारण बन सकता है। इससे ग्रहणी दोष यानी छोटी आंत को नुकसान होता है और पेट का अल्सर होने की आशंका भी बढ़ जाती है। इसलिए जंकफूड से परहेज ही करें।
रिसर्च फैक्ट्स
२६-३५ उम्र के ६४.८ फीसदी पसंद करते हैं जंकफूड।
६६.८ फीसदी भारतीय और ३३.२ फीसदी लोग वेस्टर्न जंकफूड पसंद करते हैं।