पान के पत्ते का रस कई प्रकार की आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में भी काम आता है।किसी को सांस लेने में परेशानी हो रही हो तो पान के पत्ते सरसों के तेल में गर्म कर लें और छाती पर रखें। खांसी और सांस की परेशानी में आराम मिलेगा।
पान के डंठल सरसों तेल में खौला लें, इस तेल को छाती औऱ गले पर लगाएं। सांस की तकलीफ और खांसी से राहत मिलेगी।
साधारण चोट लग गई हो तो पान का रस वहां लगाएं और पान को जख्म के ऊपर बांधकर पट्टी करें। दिन में दो बार ऐसा करने से आराम मिल जाएगा।
फोड़े होने पर पान के पत्ते को हल्की आंच में सेक लें। उसमें अरंडी का तेल लगाएं और फोड़े के ऊपर बांध लें। दिन में तीन से चार बार ऐसा करें। लाभ होगा।
सिरदर्द – पान को पीसकर दर्द वाले हिस्से में लेप करना चाहिए।
कमरदर्द – पान के पत्ते तेल में गर्म करके उस तेल से मालिश करें, राहत मिलेगी।
नसों में दर्द – पान के पत्तों के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर दो बार पिएं। पेशाब कम आने पर पान के पत्ते के रस को दूध में मिलाकर पीना चाहिए।
पोषक तत्वों की मात्रा
मुंह को खुशबूदार रखने वाले पान के कई औषधीय गुण भी हैं। पान के एक पत्ते में 75.4 प्रतिशत फीसदी नमी, 3.1 प्रतिशत प्रोटीन, ०.9प्रतिशत वसा, 2.3 प्रतिशत खनिज, 2.3प्रतिशत फाइबर और 6.1प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट होता है।