पांच वर्षों से जर्जर स्कूल भवन में अध्ययन करने को मजबूर हंै विद्यार्थी
डिंडोरी•Sep 14, 2019 / 10:41 pm•
Rajkumar yadav
Four months of the year there are rooms in the verandah
डिंडोरी। बारिश के मौसम में आदिवासी अंचल के अधिकांश स्कूलों में कहीं छाते के नीचे तो कहीं तिरपाल लगा कर अध्ययन की खबरें तो अब आम हो चली हैं,लेकिन लगातार शिकायतों के बावजूद भी यदि किसी शिक्षण संस्थान का काया कल्प ना हो तो यह जिले वासियों के लिये बेहद दुखद है,खासकर तब जब एक आदिवासी नेता के हांथों में प्रदेश की बागडोर हो। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अझवार की जर्जर इमारत के चलते बारिश के मौसम में स्कूल में अध्ययनरत छात्र -छात्राओं को चार माह बाहर बरामदे में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। इस स्थिति में पढ़ाई भी प्रभावित हो रहा है।
खंडहर में तब्दील हुये कमरे
मौके का मुआयना करने के उपरांत देखा गया कि स्कूल की जर्जर इमारत की एक दो कक्षो को छोड़ दिया जाये तो शेष सभी कमरे बुरी तरह जर्जर हो चुके हैं। आलम यह है कि जगह जगह छत का लोहा बाहर झांकने लगा है।दो कमरे की स्थिति तो यहाँ तक है कि छत में बने एक बड़े ***** से खुला आसमान देखा जा सकता है। स्कूली छात्र छात्राओं के अलावा स्कूल में मौजूद अध्यापकों की माने तो एक दो दफा तो अध्यापन के दरम्यिान छत का प्लास्टर छात्र छात्राओं के सिर पर आ गिरा है जिससे छात्र चोटिल हो चुके हैं। नतीजतन जगह की कमी के चलते स्कूल का फर्नीचर और अन्य सामग्री इन कमरों में रखी है, जो कबाड़ होते जा रही है।
थमाया जा रहा आश्वासन रूपी झुनझुना
जनप्रतिनिधियों के साथ अधिकारियों ने बदहाल हो चुके स्कूल को दुरुस्त करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। स्कूल में अध्यापन करा रहे शिक्षकों के अलावा स्थानीय जनों ने भी बताया कि स्कूल मैदान में लगातार बड़े आयोजन होते रहे है,जिसमे कितने ही मंत्री मिनिस्टर आये और गये,लेकिन अब तक स्कूल सुधार के नाम पर हर बार आश्वासन रूपी झुनझुना ही थमाया गया है।
क्या कर रहा विभाग
स्कूल के मौजूदा हालात देख यह अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि जनप्रतिनिधियों द्वारा जानबूझकर स्कूल को नजर अंदाज किया जा रहा है। इन बीते पांच वर्षों में संबंधित विभाग को शासन द्वारा स्कूलों के कायाकल्प हेतु पर्याप्त राशि मुहैया कराई गई,फिर अझवार शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को क्यों नहीं।जबकि स्कूल की स्थिति से जिम्मेदार भली भाँती वाकिफ हैं।
इनका कहना है
जर्जर हो रहे स्कूल भवन को लेकर विगत पांच वर्षों से जिले के उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाता रहा है,लेकिन पांचच वर्षों में स्कूल में कोई सुधार कार्य नहीं हुआ। ऐसी स्थिति में मजबूर हो बाहर बरामदे में कक्षायें लगानी पड़ रही हैं।
गोपाल यादव, शिक्षक
आपके माध्यम से जानकारी प्राप्त हुई है,मेरे द्वारा शीघ्र ही उक्त स्कूल का १ से २ दिन के अंदर निरीक्षण कर जिले के उच्चाधिकारियों से चर्चा कर समस्या का निराकरण किया जायेगा।ताकि अध्यनरत छात्र -छात्राओं को किसी भी तरह की परेशानियों का सामना ना करना पड़े।
भूपेंद्र मरावी ,विधायक शहपुरा