पुत्र की दीर्घायु के लिये माताओं ने रखा व्रत
हरछठ का पूजन करती महिलायें
Mothers kept fast for longevity of son
डिंडोरी। पुत्र की दीर्घायु के लिये माताओं ने हरछठ का व्रत रख विधि विधान से पूजन अर्चन किया और पूजन उपरांत व्रत का पारण किया। सुबह से ही नर्मदा तट पर हजारों की संख्या में महिलायें पहुंची और स्नान पूजन उपरांत घरों में पहुंच हरछठ का पूजन किया। हरछठ को लेकर महिलाओं ने पूजन सामग्री की खरीदी की और दिन भर व्रत रख पूजन किया।
शहपुरा। पुत्र की लंबी उम्र की कामना का व्रत हलषष्ठी मनाया गया। जिसमें सभी माताओं ने अपने पुत्र की दीर्घायु की कामना कर पूजा आराधना की। कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने इस व्रत को युधिष्ठिर को अभिमन्यू की भार्या के गर्भ में ही अस्वत्थामा ने पुत्र को मार दिया था। इस व्र्रत में कथा का श्रवण कर महिलाएं चौंक बना कर उसके चारों ओर छरबेरी, पलास और कांसा लगाकर पूजन किया। साथ ही लाई महुआ चना गेहू जिसे स्थानीय भाषा में भुजनिया कहते है। भगवान को भोग लगा कर प्रसाद के रूप में बाटते है। साथ ही जिस जमीन पर हल नहीं चलता ऐसे जगह उगा धान जिसे सामा कहते है का सेवन कर पारण किया। हरछट व्रत के लिए माताएं शुक्रवार के दिन से ही तैयारी में लग गई थी। जिसके बाद मातांए शनिवार को सुबह से नदी में स्नान कर पूरे दिन उपवास रखी। जिसके बाद शाम को भैस के दूध, गोबर, महुआ, केला, नारियल के साथ ही छ: चुनकों के साथ महुलिआ की पूजा कर अपने पुत्र की लंबी उम्र की कामना कर पारण किया।
करंजिया। मुख्यालय सहित आसपास के क्षेत्र मे महिलाओं ने भादों की छठी तिथि मे पारम्परिक त्योहार हरछठ के दिन उपवास रखकर अपने पुत्र के दीर्घायु की प्रार्थना की। यह त्योहार मुख्यालय सहित आसपास के गांव मे बडे धूमधाम के साथ मनाते है। यह त्योहार महिलाओ के लिए विशेष होता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है महुआ, चावल, काषी को एकत्रित कर पूजा स्थल मे लगाकर पूजा पाठ करती है। जिसके बाद पारणा कर व्रत खोलती है। इस दौरान गांव मे आसपास की महिलाएं एकत्रित होकर एक स्थल मे हरछठ की पूजा करते है। इसके पीछे मान्यता है की पुत्रवघु महिलाओं का हरछठ का व्रत करने से उनकी सन्तान निरोगी एवं दीर्घायु होता है ।
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