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डिंडोरी

महामारी का संकट: दूसरे शहर और राज्यो से पैदल ही वापस आ रहे मजदूर

300 से 400 किलोमीटर का तय कर रहे सफर

डिंडोरीApr 05, 2020 / 09:49 pm

Rajkumar yadav

Pandemic crisis: workers coming back from other cities and states on foot

Pandemic crisis: workers coming back from other cities and states on foot

डिंडोरी/गोरखपुर. करंजिया विखं के अंतर्गत प्रदेश की सीमा में छत्तीसगढ़ की ओर से रोजाना सैकड़ों की संख्या में मजदूर पैदल चलते हुए वापस आ रहे हैं। काम की तलाश में अपने-अपने गांव कस्बा शहरों से अन्य राज्यों दूसरे शहरों में जीवनयापन के लिए गए मजदूर अब वापस लौट रहें हैं। कारण कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे भारत को 21 दिन के लिए लॉकडाउन किया गया है। इस दौरान बस, रेलगाड़ी, हवाई जहाज, टैक्सी सहित अन्य दूसरें आवागमन के साधनों पर पूर्णतया रोक लगाई गई है।
काम बंद हो गया
छत्तीसगढ़ राज्य के पंडरिया कस्बा होकर शहडोल की ओर जा रहें मजदूरों के दल से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पांच दिनों से पैदल चल रहें हैं। हमारा दल जिस स्थान पर काम करता था उसका ठेकेदार हमें बिना बताएं ऐसे ही छोड़कर भाग गया। कोरोना बीमारी के फैलने के डर के चलते छोटे बड़े निर्माण कार्य से लेकर उद्योग फैक्ट्री कारखाने एवं दुकानों में मजदूरों के सभी काम बंद हो गए हैं। हम लोग रोज कमाने खाने वाले हैं हमारा पेट तभी भरेगा जब हम कमाकर लाएंगे अन्यथा भूखा रहना पड़ेगा। इसलिए वापस अपने अपने घरों को जा रहें हैं क्योंकि वहां रूककर भूखे मरने से अच्छा हैं कि किसी तरह अपने गांव घर पहुंच जाएं। लॉकडाउन का असर मजदूरों के जीवन पपर पड़ा हैं। निर्माण कार्य रुकने से इनको काम मिलना बंद हो गया हैं ना तो इनके पास पैसे हैं और ना ही साधन इसलिए इनके सामने खाने पीने की समस्या आन खडी हुई है। यही कारण हैं कि कस्बा सहित जिले के अन्य क्षेत्रों में रोजाना बड़ी संख्या में मजदूरों का अलग अलग समूह भूखे प्यासे ही 300 से 400 किमी का सफर पैदल ही तय कर रहे हैं। भूख से बिलबिलाते छोटे-छोटे बच्चे और उनके साथ ही बोझा ढोकर चलते माता-पिता बड़ा ही मार्मिक दृश्य रहता है। पंडरिया से 150 किमी पैदल चलकर पहुंचे एक मजदूर ने बताया कि उन्हें सतना जिले तक जाना हैं लेकिन पैदल चलने में सबसे बड़ी समस्या पेट भरने की हैं। यहां तक तो यात्रा ठीक ठाक रही पीछे के क्षेत्र में कुछ स्थानों पर लोगों ने खाने पीने की व्यवस्था करा दी थी। अब हमारे पास मात्र दो समय का राशन बचा हैं यदि इसी तरह का सहयोग आगे भी मिल जाएं तो सफर तय करने में दिक्तत नहीं होगी। इनके साथ लगभग 4 वर्ष का एक छोटा बच्चा भी हैं जिसे उसका पिता कांधे पर टांगें साथ साथ चल रहा था। उसने बताया कि कोरोना बीमारी फैल रही हैं, इसके कारण हमें घर जाना हैं। आने जाने का कोई साधन नहीं मिल रहा हैं इसलिए हम पैदल ही निकल गए हैं। बच्चों को गोद में लिए दिन.रात चल रहे भयंकर गर्मी के कारण मजदूरों के चेहरे पर थकान साफ दिखाई दे रही थी। मजदूर ने बताया कि लॉकडाउन के कारण मालिक ने मुझे बस का किराया देकर वापस जाने को कह दिया। लेकिन सभी सार्वजनिक परिवहन बंद होने के कारण हमें परिवार समेत पैदल जाना पड़ रहा है।
कमाई बंद हुई तो लौट आए घर
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जारी किए गये लॉकडाउन की आदेश के बाद अलग.अलग राज्यों से मजदूरों का वापस अपने गांव लौटने का सिलसिला जारी हैं। क्षेत्र के अनुपपुर, शहडोल, उमरिया, रीवा, सतना सहित डिंडोरी जिले से काम की तलाश में परिजन के साथ हजारों की संख्या में मजदूर पहले से ही रायपुर, बिलासपुर, नागपुर, बंगलौर, सूरत मुंबई, भोपाल, इंदौर, जबलपुर आदि शहरों में रह रहें थे अब उन शहरों राज्यों में लॉकडाउन के कारण काम मिलना बंद हो गया हैं। इसलिए ये लोग पैदल ही अपने गंतव्यों तक जा रहें हैं। कोरोना वायरस से बचने के लिए सैकडों लोग अपने गांव लौटे हैं। करंजिया विखं के अलग अलग क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में मजदूर पैदल यात्रा के बाद अपने गांव पहुंच रहें हैं। उन्होंने बताया कि जगह.-जगह इन लोगों को पुलिस जांच और मेडिकल टेस्ट से भी गुजरना पडा हैं। यह सभी ठेकेदार के अधीन काम करने गए थे और मकान बनाने वाले कारीगर का काम करते थे। करीब छ: दिन पैदल चलने के बाद गांव पहुंचे हैं एक स्थान पर हमारा चेकअप किया गया हैं। पुलिस ने थोडी थोडी मदद की हैं लेकिन दुकान वगैरह नहीं मिली जहां पेट पूजा हो पाती। रायपुर आए तब किसी अधिकारी की नजर हम पर पडी और हमें भोजन करवाया गया और वाहनों से थोडी दूर हमें छोडा गया। यहां आने के बाद स्थानीय स्तर पर भी हमारा चेकअप हुआ हैं।
खतरा अभी भी बरकरार
उल्लेखनीय हैं कि जिस तरह से कोरोना वायरस नामक महामारी को फैलने से रोकने के लिए शासन प्रशासन कड़े कदम उठा रही हैं। हमें भी जागरूक और सावधान रहना चाहिए ताकि कभी सुरक्षित रह सके। जिस तरह से मजदूरों का दूरदराज के क्षेत्रों शहरों अन्य राज्यों से पैदल वापस आने की गति निरंतर बनी हुई हैं। उसके मद्देनजर संक्रमण का खतरा बरकरार हैं क्योंकि किसी को यह नहीं पता कि कौन ग्रामीण किस शहर से आ रहे हैं और संक्रमित हैं। ऐसी स्थिति में ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आशा कार्यकर्ता सहित स्थानीय नागरिकों को जागरूक रहकर आने जाने वालों की निगरानी करनी पड़ेगी। हालांकि अभी तक किसी व्यक्ति के कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि नहीं हुई हैं लेकिन सजग होकर रहना पड़ेगा और इसमें सभी की भागीदारी की आवश्यकता हैं तभी इतने बड़े क्षेत्र की निगरानी हो सकती हैं ।
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