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डिंडोरी

गांव जाने नहीं बनी पक्की सड़क, नाले पर बना पुल भी टूटा

दशकों बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे ग्रामीण

डिंडोरीNov 18, 2020 / 05:48 pm

ayazuddin siddiqui

The paved road did not go to the village, the bridge over the drain was also broken

The paved road did not go to the village, the bridge over the drain was also broken

डिंडोरी. जिले में विकास के नाम पर करोड़ों रुपए प्रदेश एवं केंद्र सरकार भेजती है, लेकिन मेंहदवानी जनपद क्षेत्र के राघोपुर गांव के किसानों ने जब गांव की कहानी सुनाई तो उसे जानकर ऐसे नहीं लगता है कि करोडों की राशि का 10 प्रतिशत अंश भी इस गांव के विकास में लगा है। राघोपुर गांव जाने के लिए ग्रामीणों को दांडी यात्रा करना पड़ती है। यहां आजादी के सात दशक बाद भी पक्की सड़क नहीं बन पाई है। आलम यह है कि अगर इस गांव में कोई बीमार पड़ जाए तो पालकी के सहारे लगभग 5 किलोमीटर पैदल कंधे में लादकर मुख्य सड़क तक जाना पड़ता है।
नहीं सुनते अधिकारी और जनप्रतिनिधि
गांव के तुलाराम की मानें तो जिन जन प्रतिनिधियों को वोट देकर ग्रामीणों ने जिताया है वह कभी पलटकर गांव की तरफ नहीं आते हैं। अगर ग्रामीण अधिकारियों को अपने गांव की समस्या बताते हैं तो वह अनसुना कर देते हैं। गांव में न तो पक्की सडक है, न बिजली है, और न ही पानी है। खेतों की जुताई भी किसान और ग्रामीण भगवान के भरोसे ही करते हैं। अगर वह भी रूठ गया तो भूखे रहने की नौबत आ जाती है।
पुल बनते ही दो टुकड़े
गांव में लगभग 3 से 4 साल पहले नाले में पुल बनाया गया था। लेकिन वह भी इतना कमजोर रहा कि ज्यादा दिन नहीं टिक सका और टूट गया। पुल के टूटने से न तो कोई जांच हुई, न ही कोई कार्रवाई हुई है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि किस तरह से इस क्षेत्र में सरकारी तंत्र का राज चल रहा है, और गांव की जनता बेबस होकर भगवान के सहारे जिंदगी जीने को मजबूर है।
सरकारें बदली, गांव के हालात नहीं
डिंडोरी जिला के शहपुरा विधानसभा क्षेत्र से पहले बीजेपी से ओमप्रकाश धुर्वे विधायक रहे। वहीं मौजूदा समय पर कांग्रेस से भूपेंद्र मरावी विधायक हैं। इसेक अलावा भी कई जन प्रतिनिधियों का यहां आना जाना हुआ है जिनके समक्ष ग्रामीणों ने अपनी समस्या सुनाई। गरीब किसानों का कहना है की चुनाव के समय सब नजर आते हैं लेकिन चुनाव के बाद कोई उनकी सुध नहीं लेता है।

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