उक्त शिक्षक का विवादों से पुराना नाता है राजेंद्र सोनवानी के खिलाफ एक महिला ने समनापुर थाने मे शिकायत दर्ज करायी थी और मामला न्यायालय पहुंच गया था। जहां आपसी रजामंदी के बाद खत्म हुआ था। बावजूद इसके शिक्षक अपनी कार्य प्रणाली को लेकर हमेशा विवादों मे रहता है। इस बार शिक्षक के विरूद्ध की गई शिकायत शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों के साथ-साथ नियुक्ति करने वाले जवाबदारों की लापरवाही उजागर करने वाली है।
शिकायत में उल्लेख किया गया है कि उक्त शिक्षक की गलत तरीके से भर्ती की और वह लगभग 15 वर्ष तक फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी करते हुये शासन और प्रशासन की आंख मे धूल झोंकता रहा। फिलहाल जांच के बाद ही शिक्षक के उपर लगे आरोपो की पुष्टि हो पायेगी। लेकिन शिक्षक के इस फर्जीवाड़े की शिकायत के बाद जांच अधिकारी के सामने उपस्थित न होना शिक्षक के द्वारा की गई गड़बड़ी को दर्शाता है। वरिष्ठ अधिकारियों ने शिक्षक की लापरवाही और शाला में अनुपस्थिति के चलते वेतन मे रोक लगा दी गई है। लेकिन यह शिक्षक के द्वारा बरती गई लापरवाही का हल नहीं, जामुन टोला में अध्ययनरत 40 नौनिहालों के भविष्य से जुड़ा हुआ मसला भी है। जहां नौनिहालों के अध्ययन को लेकर भी पालकों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है।
शिक्षक राजेंद्र सोनवानी की कार्य प्रणाली को लेकर शाला प्रबंधन समिति के द्वारा भी कई बार शिकायतें दर्ज करायी गई है। लेकिन उच्च अधिकारियों द्वारा समय रहते कदम उठाया जाता तो पूर्व मेे ही सब कुछ साफ हो जाता। मामले के संबंध मे जानकारी लगने के बाद उच्चाधिकारियों द्वारा जांच के बाद कार्रवाई की बात कही जा रही है और नौनिहालों के अध्यापन कार्य को लेकर वैकल्पिक व्यवस्था का भरोसा दिया जा रहा है।
इनका कहना है
समनापुर विकासखंड शिक्षा अधिकारी के मुताबिक संविदा शिक्षक राजेंद्र सोनवानी के विरूद्ध फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने की शिकायत की गई थी। सहायक आयुक्त द्वारा जांच मुझे सौंपी गई है, लेकिन शिक्षक नदारद होने के कारण जांच नहीं हो सकी है और शिक्षक के वेतन आहरण मे रोक लगा दी गई है।
समनापुर विकासखंड शिक्षा अधिकारी के मुताबिक संविदा शिक्षक राजेंद्र सोनवानी के विरूद्ध फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने की शिकायत की गई थी। सहायक आयुक्त द्वारा जांच मुझे सौंपी गई है, लेकिन शिक्षक नदारद होने के कारण जांच नहीं हो सकी है और शिक्षक के वेतन आहरण मे रोक लगा दी गई है।