90 फीसदी कैंसर की वजह खराब लाइफस्टाइल
सर्विक्स और लिवर कैंसर की वैक्सीन मौजूद है, इससे 85 फीसदी तक कैंसर से बचाव संंभव है। अक्सर लोगों में जानकारी के अभाव में कैंसर को लेकर भ्रम की स्थिति रहती है। जानते हैं एक्सपर्ट से कैंसर से जुड़े भ्रम और सच के बारे में-
भ्रम: परिवार में कैंसर है तो अन्य को भी हो सकता है।
सच: केवल पांच से दस फीसदी कैंसर ही आनुवांशिक होते हैं जैसे ब्रेस्ट, ओवेरियन और कोलोन कैंसर। जबकि 90 फीसदी कैंसर व्यक्ति की लाइफस्टाइल के कारण होते हैं। इनमें तंबाकू, शराब और मांसाहार शामिल हैं। जिनमें आनुवांशिक कैंसर की आशंका है उन्हें समय-समय पर जांच करवानी चाहिए। महिलाओं को 21 साल की उम्र के बाद पेप्समीयर और 40 साल के बाद मेमोग्राफी करवानी चाहिए। 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को सिरम पीएसए (प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन) जांच करवानी चाहिए।
भ्रम: एक उम्र के बाद नहीं हो सकता कैंसर का इलाज।
सच: ऐसा नहीं है। कैंसर का इलाज किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति में किया जा सकता है। पहले डॉक्टर अधिक उम्र के लोगों का इलाज करने से बचते थे। इसकी वजह अधिक उम्र और कमजोर लोगों में कीमोथैरपी का साइड इफेक्ट होना था। अब नई टारगेटेड थैरेपी से हर उम्र के मरीज के इलाज में मदद मिलती है।
भ्रम: कैंसर के मरीजों में इलाज के दौरान बालों का झडऩा जरूरी है।
सच: पहले ये दिक्कत आती थी। कैंसर के मरीजों में इलाज के दौरान बाल गिरना आम था। लेकिन नई टारगेटेड थैरेपी से इस दिक्कत से बचा जा सकता है। यह थैरेपी सीधे कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करती है जिससे बाल गिरने की समस्या नहीं होती।
भ्रम: कैंसर की वजह से शरीर में असहनीय दर्द होता है।
सच: कुछ प्रकार के कैंसर जैसे ब्रेस्ट, फेफड़ें, कोलोन और जीभ आदि में पहली व दूसरी स्टेज में दर्द नहीं होता है। इसी तरह अन्य कैंसर में भी होता है, लेकिन इलाज के अभाव में यदि कैंसर एडवांस स्टेज में पहुंच जाए तो असहनीय दर्द होता है।
भ्रम: कैंसर की कोई वैक्सीन नहीं है।
सच: केवल बच्चेदानी के मुंह (सर्विक्स) और लिवर कैंसर के लिए वैक्सीन मौजूद हैं। सर्विक्स कैंसर से बचाव के लिए महिलाओं को एचपीवी (हृयूमन पैपिलोमा वायरस) वैक्सीन 9 से 25 वर्ष के बीच लगवानी चाहिए। लिवर कैंसर से बचाव के लिए हेपेटाइटिस-बी का टीका लगवाएं। हेपेटाइटिस-बी के 5 से 10 फीसदी मरीजों को लिवर कैंसर की आशंका रहती है। ऐसे में इन टीकों से 85 फीसदी तक कैंसर से बचाव हो सकता है।
भ्रम: कैंसर से जुड़ी जांचें कराने से फैलती है यह बीमारी।
सच: लोगों में डर है कि कैंसर की जांच (बायोप्सी) करवाने से बीमारी शरीर में फैल जाती है। यह धारणा गलत है। बायोप्सी में कैंसर की आशंका वाले हिस्से से एक छोटा मांस का टुकड़ा लिया जाता है। इससे बीमारी फैलती नहीं है बल्कि सूक्ष्म स्तर पर इसकी जांच करने में आसानी होती है।
भ्रम: कम या अधिक उम्र में कैंसर ज्यादा खतरनाक होता है।
सच: कैंसर के फैलाव का उम्र से कोई सम्बंध नहीं है। रोग की गंभीरता उसके प्रकार, स्टेज और किस जगह पर कैंसर है उसपर निर्भर करती है। शुरुआती स्टेज में बीमारी की पहचान होने पर कम समय और खर्च में सफल इलाज हो जाता है। इसके लिए जरूरी है कि समय पर जांच कराएं। कम उम्र में अधिकतर मामले ब्लड और बोन कैंसर के होते हैं जिनके लक्षण जल्द ही दिखने लगते हैं और ऐसे में इलाज के बाद रिकवरी कम समय लेती है।
भ्रम: पुरुषों को नहीं होता ब्रेस्ट कैंसर।
सच: ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका पुरुषों में भी होती है। यह एक हजार महिलाओं की तुलना में एक पुरुष को हो सकता है। ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा है जिसका कारण खराब लाइफ-स्टाइल और अधिक उम्र में शादी है। यह हार्मोंस में बदलाव की वजह से भी हो सकता है। महिलाओं में पांच फीसदी मामले आनुवांशिक होते हैं।
भ्रम: काफी महंगा है कैंसर का इलाज।
सच: कैंसर की शुरुआती अवस्था में इलाज कराएं तो कम खर्च आता है। कैंसर का इलाज उसके प्रकार, स्थान और स्टेज पर निर्भर करता है।
डॉ. उमेश खंडेलवाल, कैंसर एवं रक्त रोग विशेषज्ञ
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